राहुल गांधी अंबेडकर मुद्दे पर नाटक बंद करें : भाजपा

नयी दिल्ली, 23 दिसम्बर (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज आरोप लगाया कि कांग्रेस ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का हमेशा अपमान किया, मजाक उड़ाया, उन्हें लज्जित किया और आज वही पार्टी उनके नाम पर हक मांगने का ढोंग कर रही है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा सांसद रवि शंकर प्रसाद ने सोमवार को पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बाबा साहब के खिलाफ कांग्रेस की सोच को लेकर कई महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किये।

श्री प्रसाद ने कहा कि वही कांग्रेस पार्टी, जिसने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का हमेशा अपमान किया, उनका मजाक उड़ाया और उन्हें लज्जित किया, आज वही पार्टी उनके नाम पर हक मांगने का ढोंग कर रही है। कांग्रेस की सोच हमेशा अंबेडकर विरोधी रही है। यही वजह है कि कांग्रेस ने न तो बाबा साहब के स्मृति चिह्न बनाए और न ही बनाने दिया। इसके विपरीत प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की सरकार ने बाबा साहब के आदर्शों को हमेशा अपनी नीतियों में अंगीकार किया है और बाबा साहब से जुड़े स्थलों का जीर्णोद्धार किया है। साथ ही, बाबा साहब से जुड़े हर स्थान पर उनकी याद में स्मृति चिह्न स्थापित किए हैं। कांग्रेस को अपने नेताओं और पंडित नेहरू द्वारा बाबा साहब अंबेडकर के प्रति किए गए अपमान के लिए पूरे देश से बिना शर्त माफी मांगना चाहिए।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी देश भर में भाजपा के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस का नाटक कर रही है। जिस कांग्रेस ने देश के महान सपूत डॉ भीम राव अंबेडकर का हमेशा से ही अपमान किया और उन्हें संविधान सभा का सदस्य तक नहीं बनने दिया, आज वह बाबा साहब के प्रति प्रेम का दिखावा कर रही है। जिस कांग्रेस ने बाबा साहब अंबेडकर को 1952 के लोकसभा चुनाव और 1954 के उपचुनाव में हरवाया, जिस कांग्रेस ने बाबा साहब को देश के कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया, जिस महान सपूत को कांग्रेस पार्टी ने भारत रत्न तक नहीं दिया, जिस कांग्रेस पार्टी ने बाबा साहब का एक भी स्मारक नहीं बनने दिया, वो कांग्रेस पार्टी आज बाबा साहब अंबेडकर के नाम पर प्रेस वार्ता कर रही है। कांग्रेस को इस पाखंड को बंद कर देना चाहिए।

श्री प्रसाद ने कहा कि जब भी कोई व्यक्ति मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देता है, तो सदन में उसे बोलने का मौका दिया जाता है लेकिन बाबासाहब भीमराव अंबेडकर जी के इस्तीफे के बाद सदन में उन्हें बोलने तक नहीं दिया गया। अपने त्याग पत्र में बाबा साहब अंबेडकर ने पंडित नेहरू के खिलाफ बहुत कुछ लिखा है। उन्होंने लिखा कि “मैं वित्त और उद्योग क्षेत्र में पढ़ा-लिखा था, मगर मुझे उससे जुड़ा एक भी विभाग नहीं दिया गया और एक भी संसदीय कमेटी का हिस्सा नहीं बनाया गया। मुझे कानून मंत्रालय दिया तो गया, मगर ईमानदारी से काम नहीं करने दिया गया। मुझे हिंदू कोड बिल के कार्य को पूरा नहीं करने दिया गया। केवल मुसलमानों की चिंता की गई, लेकिन एससी और एसटी को उचित संरक्षण प्रदान नहीं किया गया। प्रधानमंत्री का सारा ध्यान मुस्लिम समुदाय के प्रति समर्पित रहता है। मुसलमानों को दिए जा रहे संरक्षण से मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन क्या देश में केवल मुसलमानों को ही सुरक्षा की आवश्यकता है?” यह सभी बाबा साहब के त्याग पत्र के महत्वपूर्ण बिंदु हैं।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि यही कारण है कि कांग्रेस द्वारा बाबा साहब के त्याग पत्र को जनसामान्य के बीच में नहीं लाया गया। कांग्रेस पार्टी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के त्यागपत्र को जनता के सामने क्यों नहीं आने दिया? शायद अगर यह त्यागपत्र सामने आता, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू की पगड़ी उछल जाती। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सदन में एक चर्चा के दौरान यह बात उठाई थी, जिसमें नेहरू डॉ. बीसी रॉय से राजनैतिक संदर्भ में कहते हैं कि भीमराव अंबेडकर जी के इस्तीफे से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी आज बाबा साहब के अधिकारों की बात करते हुए किस मुंह से यह सब कर रही है, यह समझ से परे है।

श्री प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के एक महामंत्री, जो राहुल गांधी के बेहद करीबी हैं, संसद परिसर में हुई धक्का-मुक्की के बाद राहुल गांधी पर केस होने पर कहते हैं कि यह गर्व की बात है और यह उनकी बाबा साहब की विरासत के लिए लड़ाई है। कांग्रेस पार्टी का झूठ का पुलिंदा बहुत अजीबोगरीब है। एक तरफ राहुल गांधी ने धक्का-मुक्की की, सांसदों को गिरा दिया, सांसदों को चोट आई, उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, राहुल गांधी पर केस हुआ जबकि उनके नेता इसे गर्व की बात कहते है।

भाजपा सांसद ने कहा कि जब भी कोई बड़ा नेता जाता है, तो उनकी विरासतों को संजोया जाता है और उनकी स्मृतियाँ बनाई जाती हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने बाबा साहब की एक भी स्मृति बनाने की अनुमति नहीं दी। बाबा साहब के जन्मस्थान मध्यप्रदेश में उनकी एक स्मृति निर्माण का काम भाजपा के मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के कार्यकाल दौरान हुआ था, और स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने उसका उद्घाटन किया था। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने दिल्ली स्थित अंबेडकर सेंटर के लिए स्थान की स्वीकृति दी थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उसे बनने नहीं दिया। जब केंद्र में प्रधानमंत्री श्री मोदी जी की सरकार आई, तो अंबेडकर सेंटर बनकर तैयार हुआ। मोदी सरकार ने लंदन में जहां बाबा साहब रहे थे, वहां उनकी एक स्मृति बनाई, दिल्ली में उनके निवास स्थान पर स्मृति स्थापित की, नागपुर की दीक्षा भूमि और मुंबई की चैत्य भूमि में भी स्मृतियाँ बनाई। कांग्रेस पार्टी ने बाबा साहब की स्मृतियाँ बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए, केवल अड़चनें डालीं जबकि देशभर में नेहरू, इंदिरा गांधी, संजय गांधी और राजीव गांधी के नाम पर सैकड़ों स्मारक, अस्पताल और सड़कों के नाम रख दिए गए।

श्री प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के दिल में बाबा साहब के लिए इतनी इज्जत भी नहीं थी कि उनके लिए एक भी स्मारक बनवा देती। कानून के छात्र के रूप में बाबा साहब सिर्फ इसलिए ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन नहीं बने कि वे अनुसूचित जाति से थे, बल्कि वे इसलिए बने क्योंकि संविधान सभा में वे सबसे अधिक पढ़े-लिखे और विद्वान व्यक्ति थे। बाबा साहब अंबेडकर एक प्रतिष्ठित वकील थे और उनके पास कोलंबिया विश्वविद्यालय से तीन विषयों में एमए की डिग्रियां थीं। उन्होंने जितनी भी संभव डिग्रियां हो सकती थीं, उसे पूरी निष्ठा से हासिल किया था। बाबा साहब का एक पैम्फलेट है, जिसमें लिखा है “नो प्यून- नो वॉटर”। यह उनके बचपन का एक कड़ा अनुभव है, जब छुआ-छूत की प्रथा के कारण अनुसूचित जातियों के बच्चों को घड़े से पानी पीने की अनुमति नहीं थी। उन्हें लाइन में बैठाकर पानी दिया जाता था, और एक दिन जब प्यून नहीं आया, तो उन्हें पानी नहीं मिल सका। बड़ौदा में जब बाबा साहब को रहने के लिए जगह नहीं मिली, तो उन्होंने एक पार्क में या किसी छत के नीचे शरण ली। इतनी प्रताड़नाओं और समाज में अपमान झेलने के बावजूद, बाबा साहब ने संविधान को अपना आदर्श माना और संविधान एवं लोकतंत्र का रास्ता चुना। आज संविधान में न्याय, समानता और बंधुत्व का आदर्श स्थापित किया गया है और आर्टिकल 17 के तहत छुआछूत को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। बाबा साहब की सोच इतनी व्यापक थी कि उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हर किसी को आगे बढ़ने का अवसर मिले।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एडविना माउंटबेटन को पत्र लिखकर बाबा साहब अंबेडकर के कैबिनेट में न रहने की खुशी जाहिर की थी। ऐसी सोच और चरित्र वाली कांग्रेस पार्टी आज बाबा साहब के सम्मान की बात कर रही है, जो एक बहुत ही शर्मनाक स्थिति है। कांग्रेस पार्टी को अपना यह ढोंग बंद करना चाहिए। जिस तरह से पंडित नेहरू और कांग्रेस के नेताओं ने बाबा साहब अंबेडकर के साथ बदसलूकी की और उनका अपमान किया, जिसके साक्ष्य भी मौजूद हैं, उसके लिए कांग्रेस को बिना शर्त माफी मांगी मांगनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी गृह मंत्री श्री शाह के भाषण एक बहुत ही छोटे से अंश को बिना किसी संदर्भ के प्रस्तुत कर, खुद के लिए राजनीति करने का एक मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही हैं। देश की जनता बहुत परिपक्व है और सब समझती है। ऐसा करके कांग्रेस की दाल नहीं गलने वाली है।

श्री प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने बाबा साहब को तो भारत रत्न, पद्म भूषण या पद्मश्री नहीं दिया, लेकिन बाबा साहब अंबेडकर को चुनाव में हराने वाले नारायण सदोबा काजरोलकर को 1970 में पद्म भूषण देकर सम्मानित किया। काजरोलकर के पक्ष में पंडित नेहरू ने भी प्रचार किया था। ये है कांग्रेस की असली हकीकत। भाजपा देश भर में प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से कांग्रेस पार्टी का बाबा साहब अंबडेकर के खिलाफ नफरती सोच का पूरा काला चिट्ठा जनता के सामने रखेगी।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि बाबा साहब देश के विभाजन के पक्ष में नहीं थे। पूर्वी बंगाल में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों पर भी बाबा साहब अंबेडकर ने टिप्पणी की थी। भाजपा और कांग्रेस की सोच के अंतर को समझना बहुत आवश्यक है। भाजपा का मानना है कि देश को बनाने में जिसने भी ईमानदारी से अपना योगदान दिया, उन सभी लोगों का सम्मान होना चाहिए जबकि कांग्रेस पार्टी केवल एक परिवार के यशोगान में ही लगी रहती है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार में मुलायम सिंह यादव, रामविलास पासवान, शरद पवार को भी पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। भाजपा अपने धुर विरोधियों का भी सम्मान करती है, क्योंकि उन लोगों ने अपने तरीकों से देश को बनाने का प्रयास किया लेकिन कांग्रेस के लिए बस एक परिवार ही सब कुछ है।

श्री प्रसाद ने कहा कि भाजपा ने बाबा साहब और सरदार पटेल को जो सम्मान दिया, वह सर्वविदित है। सरदार पटेल जी की मृत्यु 1950 में हो गई थी, मगर उन्हें भारत रत्न 42 वर्ष बाद, 1991 में दिया गया। मौलाना आजाद की मृत्यु 1959 में हुई, लेकिन उन्हें भारतरत्न 1992 में दिया गया। 1991 में भारत के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव थे। अगर तब गांधी परिवार का कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री होता, तो इन सभी को भारत रत्न देने का काम भी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को ही करना पड़ता। अबुल कलाम आजाद और सरदार पटेल, नेहरू जी के विरोधी थे इसलिए कांग्रेस ने उनका सम्मान नहीं किया और यही रवैया बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी के साथ भी अपनाया गया। गांधी के परिवार का इतिहास यही है। उन्होंने कहा कि श्री राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी द्वारा किये गए बाबा साहब के अपमान का तमगा लेकर चल रहे हैं। उन्हें यह नाटक बंद करना चाहिए।

Next Post

परीक्षा फार्म पर जीएसटी वसूल कर युवाओं के सपने छीन रही सरकार : प्रियंका

Mon Dec 23 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email नयी दिल्ली, 23 दिसम्बर (वार्ता) कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बेरोजगार बच्चों से नौकरी पाने के लिए फार्म भरने के बदले जीएसटी वसूलने के सरकार के कदम को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा है कि यह बेरोजगार […]

You May Like