रजिस्ट्री में मकान के फोटो, लेकिन मूल्यांकन किया भू-खंड का शासकीय जमीन की नीलामी में जिम्मेदारों ने किया खेल

 

संजय जैन

सुसनेर. 15 अप्रैल. जमीनों की खरीदी-बिक्री के दस्तावेजों के पंजीयन के लिए भारत में क्या दो नियम लागू हैं…? क्योंकि आम आदमी अगर जमीन की बिक्री के दस्तावेजों का पंजीयन कराता है, तो उस जमीन पर मकान हो, तो उसका मूल्यांकन करने के बाद ही दस्तावेज का पंजीयन हो सकता है. लेकिन शासन खुद अगर किसी शासकीय जमीन की नीलामी करे और उसकी रजिस्ट्री कराए. साथ ही रजिस्ट्री में जो फोटो लगे हों, उस पर मकान नजर आता हो, किन्तु उसके बाद भी जिम्मेदार भूखंड का मूल्यांकन करके रजिस्ट्री करवा दें, तो क्या ये माना जाए कि प्रशासन के जिम्मेदार ही प्रशासन की आय पर डाका डालने में जुटे हुए हंै.

दरअसल, मामला सुसनेर के नवीन बस स्टैंड के समीप मुख्य सडक़ के किनारे एक शासकीय भूखंड सर्वे नंबर 1859/4 का है. इस शासकीय भूखंड को शासन ने 5 जुलाई 2023 को नीलामी के जरिए नीमच की एसटीसी रियल स्टेट कम्पनी, जिसका पता 223 तिलक नगर नीमच है, को 7 करोड़ 41 लाख 56 हजार रुपए में बेचा था. इस भूखंड की मालिकाना हक की रजिस्ट्री तहसीलदार विजयकुमार सेनानी के द्वारा 14 मार्च 2024 को ई पंजीकरण क्रमांक एमपीएस572842024ए1327290 के जरिए की गई थी. इस भूखंड की नीलामी का मूल्य शासन ने 3 करोड़ 80 लाख 16 हजार रुपए तय किया था. किन्तु दोगुनी से भी अधिक कीमत पर इस भूखंड की बिक्री की गई. बिक्री में इसे भूखंड बताया गया, जबकि जिस सर्वे नंबर का भूखंड बेचा गया है, उस सर्वे नंबर पर वर्षों से शासकीय आवास बने हुए हैं और इन शासकीय आवासों में जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा न्यायाधीशों के आवास बने हुए है, जो अभी भी अच्छी हालत में हैं तथा जिन्हें सडक़ से ही देखा जा सकता है. शासन ने जो भूखंड बेचा है, वह भी सडक़ से ही लगा हुआ है और उस पर मकान भी बने हुए हैं, जो कि रजिस्ट्री के अपलोड किए गए फोटो मे भी दिखाई दे रहे हैं. उसके बाद भी उस जमीन का मूल्यांकन भूखंड के तौर पर कर दिया गया, जबकि उसका मूल्यांकन आवासीय भूखंड के मान से होना चाहिए था. इससे स्पष्ट है कि जिम्मेदारों ने अपने फायदे के लिए शासन के नियमों की अनदेखी की है.

 

इनका कहना है

शासकीय भूखंड शासन ने नीलामी के जरिए नीलाम किया था. वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश से मेरे द्वारा विक्रेता के तौर पर भूखंड का पंजीयन करवाया गया है. उसमें कहीं से किसी भी प्रकार के नियमों की अनदेखी नहीं की गई है.

– विजय कुमार सेनानी, तहसीलदार, सुसनेर

किसी भी जमीन पर अगर मकान है, तो उन मकानों का मूल्यांकन करने के बाद ही स्टाम्प ड्यूटी लगाई जाती है. नवीन बस स्टैंड के समीप शासकीय भूखंड की रजिस्ट्री में मकान का फोटो है और यदि मूल्यांकन भूखंड का हुआ है, तो आप मुझे उस दस्तावेज पंजीयन की पूरी डिटेल दीजिए. मेरे द्वारा मामले की जांच करवाई जाएगी.

– मनोहरलाल प्रजापति, उप पंजीयक सुसनेर

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