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1977 एवं 1989 को छोड़ आजादी से आज तक सिर्फ बाहरी प्रत्याशी बनते रहे सांसद, सिर्फ मतदाता बनकर रह गये जिले के नेताजी

सुरेश पाण्डेय पन्ना

:खास बातें:

1. बाहरी प्रत्याशियों का सांसद बनना सबसे बडा जिले के विकास बाधक बना।

2. कांग्रेस ने कभी नहीं बनाया स्थानीय प्रत्याशी, भाजपा ने एक बार दिया मौंका और मिली विजय।

3. लगातार आठ लोकसभा चुनावों से भाजपा को मिल रही विजय, विकास के नाम पर सभी सांसद रहे फ्लाप।

1962 से जबसे लोकसभा चुनाव शुरू हुये तब से आज तक आज तक के लोकसभा चुनाव में नजर डाली जाये तो सिर्फ पन्ना राजघराने को छोड़ आज तक भाजपा एवं कांग्रेस ने कभी पन्ना जिले के नेताओं को प्रत्याशी नहीं बनाया। कहीं न कहीं पन्ना के विकास में पिछड़ेपन का कारण भी यही है जब जिले के निवासी जिनकी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि होती है। अपेक्षाकृत उन्हें जिले से एवं जिले के विकास ज्यादा लगाव होता है। बाहरी प्रत्याशी तो ऐसे रहे जो आयाराम गयाराम साबित हुये और जब से परम्परा बाहरी प्रत्याशियों की पड़ी तब से आज तक जिले के किसी भी नेता को भाजपा एवं कांग्रेस ने लोकसभा प्रत्याशी के लायक ही नहीं समझा सिर्फ मतदाता बनकर जिले के भाजपा एवं कांग्रेस के नेतागण रह गये। आखिर जिले की जनता कब जागेगी कब तक बाहरी प्रत्याशियों को झेलती रहेगी। इस बारे में जिले की जनता को गहरा चिंतन करना होगा। अन्यथा आजादी से आज तक जैसा पन्ना जिला पिछड़ा हुआ है और बाहरी नेता यहां से चुनाव जीतकर सांसद एवं मंत्री बनते रहेंगे तथा अपना एवं अपने चहेतों को एवं परिजनों का विकास करते रहेंगे और जिले का विकास इसी तरह हांसिए पर रहेगा। ज्ञात हो कि 1952 में लोकसभा का गठन हुआ था तथा 1952 से 1961 तक कोई लोकसभा चुनाव नहीं हुए थे। जब 1962 से लोकसभा चुनाव शुरू हुये तब से आज तक पहली बार लोकदल ने 1977 में पन्ना नरेश नरेंद्र सिंह जू देव को अपना प्रत्याशी बनाया था और वे विजयी भी हुये थे। इसके बाद महाराजा नरेंद्र सिंह जी के छोटे पुत्र कुंवर लोकेंद्र सिंह जी को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया और वे भी विजयी होकर सांसद बने। ऐसा नहीं है कि पन्ना जिले में भाजपा एवं कांग्रेस अच्छे नेता नहीं है। लेकिन आज तक यहां के नेताओं शायद इस लायक ही नहीं समझा गया और कांग्रेस ने तो कभी भी स्थानीय प्रत्याशी को टिकट ही नहीं दिया। लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। लोकसभा चुनाव में खजुराहो संसदीय क्षेत्र के मुख्यालय पन्ना जिले में चुनावी सरगर्मी धीरे धीरे जोर पकड़ चुकी है। यहां के मतदाताओं को रिझाने के लिए दल और प्रत्याशी जोर लगा रहे हैं। इसी बीच पन्ना में यह चर्चा भी तेज है कि जिले के किसी नेता को भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों ने मौंका नहीं दिया। यह बात और है कि अन्य अलग अलग पार्टियों के जिले में उम्मीदवार चुनावी मैदान में है। इस बार चूंकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं बनाया है और सपा प्रत्याशी का भी नामांकन निरस्त हो गया। जिस कारण बसपा के अलावा कोई राष्ट्रीय दल का प्रत्याशी खजुराहो लोकसभा से नहीं है जिस कारण चुनाव लगभग एक तरफा होने जा रहा है और चुनावी रंगत पूर्णतः फीकी है। न विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं में चुनाव के प्रति उत्साह देखा जा रहा है और न मतदाताओं में। बाहरी प्रत्याशियों को नकारते हुए राजनैतिक दलों को सबक सिखाने का सही समयः- लगातार 8 लोकसभा चुनाव से भाजपा को ही इस संसदीय क्षेत्र की जनता ने अपना विश्वास मत देकर भाजपा को जिताकर दिल्ली भेजा चाहे सरकार केंद्र एवं राज्य में किसी की रही हो लेकिन जनता ने हमेशा भाजपा के प्रति अपना विश्वास व्यक्त किया। वह बात अलग है कि किसी भी भाजपा सांसद ने या कांग्रेस सांसद ने पन्ना जिले के विकास के लिये कुछ भी नहीं किया। आज समय है कि जिलेवासी चिंतन करे और बाहरी प्रत्याशियों को बार बार थोपने की परम्परा को हमेशा के लिए विराम लगाने के लिए आज तक सर्वथा उचित समय आ गया है जनता स्वयं आत्म चिंतन कर निर्णय ले ताकि प्रमुख राष्ट्रीय दलों को जिले के निवासी नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाने के लिए मजबूर होना पड़े।

आज यदि 40 वर्षो से देखा जाये तो भाजपा के आठ सांसद जिले की जनता ने चुने लेकिन उन सांसदों की आठ उपलब्धियां भी जिले के खाते मे नहीं आई और इस बार के वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव मे विजयी हुये भाजपा सांसद विष्णु दत्त शर्मा जो कि अब तक के सबसे पावरफुल सांसद रहे हैं। लेकिन जिले मे कुछ छोटे मोटे कार्यो को अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाये तो जिले के लिए एक भी उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं दी गई। रेल के नाम पर रामकृष्ण कुसमरिया लगातार चार बार सांसद बने लेकिन वे रेल नहीं ला सके। वर्ष 2014 चुनाव में नागेंद्र सिंह को 4,74,966 (54.31 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं राजा पटैरिया को 2,27,476 (26.01 फीसदी) वोट मिले थे दोनों के बीच हार जीत का अंतर 2,47,490 वोटों का था। वहीं बसपा 6.9 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थोन पर थी। इससे पहले 2009 के चुनाव में भी बीजेपी को जीत मिली थी बीजेपी के जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस के राजा पटैरिया को हराया था, जितेंद्र सिंह को 2,29,369(39.34 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं राजा पटैरिया को 2,01,037(34.48 फीसदी) वोट मिले थे। जितेंद्र सिंह ने राजा पटैरिया को 28,332 वोटों से हराया था, वहीं बसपा 13.22 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। आजादी से अभी तक विजयी सांसदों में पन्ना राजघराने से स्व. नरेंद्र सिंह एवं स्व. लोकेंद्र सिंह के अलावा सभी सांसद बाहरी थे जिन्हें यहां से विजय श्री मिली है।

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