पिता को दिया कांधा, बोली पिताजी बेटी ही मानते थे, मुखाग्नि देकर अपना फर्ज अदा किया
अंजड़:पिता की चिता में मुखाग्नि सिर्फ बेटा ही दे सकता है। बेटियां चिता को आग नहीं लगा सकती। इस रूढि़वादी सामाजिक सोच से ऊपर उठकर शिक्षक कॉलोनी की रामेश्वर चौहान के परिवार की बेटी ने गुरुवार को न सिर्फ पिता के शव को कंधा लगाया, बल्कि नर्मदा तट शमशान घाट पर मुखाग्नि देकर अपना फर्ज अदा किया। शमशान घाट पर रामेश्वर चौहान की छोटी बेटी भी गई थी। पिता रामेश्वर चौहान को मुखाग्नि देकर छोटी बेटी प्रियंका ने साबित कर दिया कि बेटा और बेटी में फर्क नहीं होता।
दसअसल शिक्षक कॉलोनी निवासी रामेश्वर चौहान जो ठीकरी जनपद पंचायत में पंचायत समन्वयक के पद पर पदस्थ थे। लंबी बीमारी के कारण बड़वानी के सांई अस्पताल में ईलाज के दौरान उनका बुधवार रात को निधन हो गया।निधन के दौरान उनके साथ उनकी पत्नी ममता चौहान और छोटी बेटी प्रियंका चौहान थी, जो सिविल सर्विस एक्जाम की तैयारी कर रही है। वहीं चौहान की बड़ी बेटी मोनिका की शादी हो चुकी है। पिता रामेश्वर चौहान को कंधा देकर छोटी बेटी नर्मदा तट शमशान घाट तक पहुंची और अपने पिता को मुखाग्नि दी।
मौजूद लोगों की भी आखें हुई नम
बेटी ने अपने पिता के लिए बेटा और बेटी दोनों का कर्तव्य निभाकर उन्हें मुखाग्नि दी। पिता के निधन से दुखी छोटी बेटी प्रियंका चौहान ने बड़े भारी दुखित मन से पिता की अंतिम यात्रा में शामिल हुई। शमशान घाट में आंखों से छलक रहे आसुंओं के बीच इस बहादुर बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। बेटी को उसके पिता को मुखाग्नि देते देखकर वहां उपस्थितों की भी अति ममतामय करुणामय दृश्य को देखकर आंखें नम हो गई। इस दौरान चौहान के गृहग्राम ब्राह्मणगांव से परिवार के सदस्यों सहित रिश्तेदार व सहकर्मी उनकी अंतिम यात्रा में सम्मिलित हुए।