नयी दिल्ली 13 दिसम्बर (वार्ता) भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने रक्षा, उभरती हुई प्रौद्योगिकियों, परमाणु ऊर्जा, ध्रुवीय अनुसंधान, महत्वपूर्ण खनिजों और नवीकरणीय ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने की संभावनाओं पर गहन विचार विमर्श किया है।
विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और संयुक्त अरब अमीरात के उप प्रधानमंत्री तथा विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान ने गुरूवार को चौथी भारत- संयुक्त अरब अमीरात वार्ता की सह-अध्यक्षता की।
दोनों पक्षों ने रक्षा, उभरती हुई प्रौद्योगिकियों, परमाणु ऊर्जा, ध्रुवीय अनुसंधान, महत्वपूर्ण खनिजों और नवीकरणीय ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में हमारी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने के लिए चर्चा की। दोनों पक्षों ने आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। रणनीतिक वार्ता का पिछला संस्करण सितंबर 2022 में अबू धाबी में हुआ था।
मंत्रालय ने बताया कि डा जयशंकर और शेख अब्दुल्ला ने शुक्रवार को यहां
15वीं भारत-यूएई संयुक्त आयोग बैठक की सह-अध्यक्षता की। दोनों मंत्रियों के साथ भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री, यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मारी, यूएई के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग राज्य मंत्री और भारत के लिए विशेष दूत रीम अल हाशिमी, यूएई के आर्थिक और व्यापार मामलों के राज्य मंत्री अहमद अली अल सईघ, दोनों पक्षों के राजदूत और वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।
दोनों मंत्रियों ने अबू धाबी में हुई आयोग की बैठक के बाद से दोनों देशों के बीच नियमित उच्च स्तरीय यात्राओं पर संतोष व्यक्त किया और भारत-यूएई संयुक्त विजन वक्तव्य के कार्यान्वयन में प्रगति की सराहना तथा इसके कार्यान्वयन पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि विभिन्न द्विपक्षीय संस्थागत तंत्र नियमित रूप से मिल रहे हैं और उन्होंने द्विपक्षीय तालमेल को बढ़ाया है। दोनों मंत्रियों ने बहुपक्षीय स्तर पर घनिष्ठ सहयोग जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।
दोनों मंत्रियों ने भारत-यूएई द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर और उसके लागू होने का स्वागत किया। उन्होंने यूएई और भारत के बीच मजबूत व्यापार संबंधों की पुष्टि की, जिसे भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) द्वारा और बढ़ाया गया है। उन्होंने दोनों केंद्रीय बैंकों के बीच मजबूत सहयोग की सराहना की।
दोनों पक्षों ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) पर भी चर्चा की, जो भारत, यूएई और यूरोप के बीच समुद्री संपर्क और व्यापार को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एक प्रमुख पहल है। दोनों देशों के बीच वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर (वीटीसी) और मैत्री इंटरफेस (मास्टर एप्लीकेशन फॉर इंटरनेशनल ट्रेड एंड रेगुलेटरी इंटरफेस) पर हाल ही में शुरू किए गए काम का स्वागत करते हुए, उन्होंने स्वीकार किया कि वीटीसी और मैत्री डेटा एक्सचेंज सिस्टम के माध्यम से व्यापार प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेंगे जो दोनों देशों के बीच कागज रहित लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है।
दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत सहयोग की सराहना की, जिसमें दीर्घकालिक आपूर्ति समझौते, अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम परियोजनाओं में सहयोग, रणनीतिक भंडार में आपसी निवेश आदि जैसे क्षेत्रों में चल रहे सहयोग को गहरा करने की इच्छा शामिल है। उन्होंने परमाणु ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिजों और हरित हाइड्रोजन जैसे साझेदारी के नए क्षेत्रों में सहयोग के विस्तार का भी स्वागत किया।
दोनों मंत्रियों ने रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सक्रिय और बढ़ते आदान-प्रदान पर संतोष व्यक्त किया, जो दोनों देशों के व्यापक रणनीतिक लक्ष्यों के अनुरूप है। उन्होंने जनवरी 2024 में पहले सैन्य अभ्यास ‘डेजर्ट साइक्लोन’ के सफल समापन और दोनों देशों के रक्षा उद्योगों को शामिल करते हुए पहले भारत-यूएई रक्षा साझेदारी मंच के आयोजन का स्वागत किया।