जिस रोज संकल्प पूर्ण नहीं होता, निराहार रहती हैं मां पूर्णमति

जैन साधुओं को अपने घर आहार कराने के लिए भक्त प्रतिदिन “पड़गाहन” कर लगा रहे दर्जनों चौके, माताजी संकल्प के अनुरूप जा रहीं एक भक्त के घर
ग्वालियर: हाथों में कलश-श्रीफल लिए और श्रद्धानवत होकर “वन्दामि माताजी” जैसे शब्दों से अनुनय करते श्रद्धालु महिला-पुरुषों की विशाल कतार। कुछ देर की प्रतीक्षा के बाद आर्यिकारत्न माँ पूर्णमति का आगमन, और फिर कलश श्रीफल लिए खड़ी एक महिला के आग्रह को स्वीकार कर आहारचर्या करने के लिए माताजी द्वारा उसके निवास की ओर प्रस्थान कर देना। इसके बाद आर्यिका संघ की सभी साध्वियां एक एक कर इन श्रद्धालुओं के मध्य आती हैं और किसी एक परिवार का चयन कर उनके साथ चल देती हैं। नया बाजार स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर के बाहर यह दृश्य प्रतिदिन सुबह देखा जा सकता है। जैन दर्शन में इसे साध्वियों का पड़गाहन कहा जाता है।
ग्वालियर जैन समाज के मीडिया प्रभारी ललित जैन ने जैन साध्वियों के प्रति भक्त समुदाय के इस पड़गाहन प्रक्रिया के अब तक अनजाने एवं दिलचस्प पहलुओं की जानकारी देते बताया कि यह साध्वियों की आहारचर्या का एक अंग है जो सदियों से चला आ रहा है। उन्होंने बताया कि मां पूर्णमति जी भी अन्य जैन साधुओं की तरह आहारचर्या से पूर्व प्रतिदिन एक संकल्प लेती हैं कि जिस भक्त के हाथ में विशेष कलश अथवा एक विशिष्ट आकार का श्रीफल होगा या फिर भक्त महिला फलां रंग की साड़ी पहने होगी, वे उसी के घर आहार करेंगी। यदि उस दिन माताजी का में लिया यह संकल्प पूर्ण नहीं होता है तो, उस दिन वे उपवास रखतीं हैं और फिर दूसरे दिन ही आहार लेती हैं, वह भी तब, जबकि उस दिन भी मन में लिया उनका संकल्प पूरा हो जाए। माताजी 24 घण्टे में सिर्फ एक बार ही भोजन-जल ग्रहण करती हैं, वह भी अंजुलि में।
आज माँ पूर्णमति की आहारचर्या के लिए 20 भक्त परिवारों ने चौके लगाए थे। इन परिवारों ने नया बाजार जैन मंदिर के बाहर माताजी का पड़गाहन किया और मातुश्री ने अपने संकल्प के अनुरूप इनमे से अशोक सिंघई के परिवार का चयन किया और विशाल भक्त समुदाय के साथ उन्हीं के घर पहुंचकर आहारचर्या की। माँ पूर्णमति का संघ जहां भी ठहरता है, वहां पड़गाहन की प्रक्रिया पूर्ण आस्था व श्रद्धा भाव से इसी प्रकार प्रतिदिन चलती है।
शांतिधारा के बाद हुए प्रवचन, भक्तिगीत गाते हुए पहुंच रहे भक्तों के समूह
नया बाजार मंदिर में मां पूर्णमति के ससंघ सानिध्य में इन दिनों श्री कल्याण मंदिर भक्ति स्तोत्र विधान चल रहा है जिसमें भाग लेने के लिए न सिर्फ़ ग्वालियर शहर बल्कि आसपास के अंचल से भी प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भक्तों के जत्थे भक्ति गीतों पर नृत्य करते हुए यहां पहुंच रहे हैं। कल्याण मंदिर विधान में पूजन, अभिषेक, गुरुभक्ति के उपरांत मां पूर्णमति जी के ज्ञानमयी प्रवचन भी होते हैं आज के प्रवचन में मातुश्री ने बताया कि व्यक्ति किस तरह अपने सांसारिक दायित्व सफलतापूर्वक निर्वाह करते हुए धर्मपथ पर चलकर मोक्ष को प्राप्त कर भव सागर के बंधनों को तोड़ते हुए प्रभु की शरण में पहुंच सकता है।

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