नवाचार का प्रतीक बन चुकी सृजन
बाकी जिलों में लागू करने की तैयारी
भोपाल, 6 दिसंबर. मध्य प्रदेश की सामुदायिक पुलिस योजना सृजन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है. यह योजना सामुदायिक पुलिसिंग में नवाचार और उत्कृष्टता का प्रतीक बन चुकी है. हाल ही में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भुवनेश्वर में आयोजित डीजी-आईजी कॉन्फ्रेंस में इसे सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं और नवाचारों में शामिल किया गया. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के समक्ष सृजन का प्रदर्शन किया गया. सृजन योजना का उद्देश्य और उपलब्धियां सृजन योजना का मुख्य उद्देश्य कमजोर वर्ग के बालकों और बालिकाओं का संरक्षण, अपराध-मुक्ति, आत्मरक्षा, और सशक्तिकरण है. भोपाल कमिश्नरेट में इस योजना के तहत अब तक बड़ी संख्या में बच्चों को लाभान्वित किया जा चुका है. इसके परिणामस्वरूप संबंधित थाना क्षेत्रों और बस्तियों में अपराध में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है. भोपाल में सफलता के बाद सृजन को इंदौर, खंडवा और झाबुआ में भी लागू किया गया है. इस योजना ने न केवल अपराध नियंत्रण में योगदान दिया है, बल्कि बाल संरक्षण और सामुदायिक सशक्तिकरण में एक नया आयाम जोड़ा है. संवेदनशील मुद्दों पर प्रभावी काम यह योजना यौन शोषण, बाल हिंसा और नशा उन्मूलन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर प्रभावी रूप से काम कर रही है. इसे पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए पुलिस महानिदेशक द्वारा निर्देश दिए गए हैं. सृजन योजना को उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस समिति द्वारा भी सराहा गया है. इसे बाल संरक्षण के क्षेत्र में श्रेष्ठ सामुदायिक योजना तथा बेस्ट प्रैक्टिस के रूप में माना जा रहा है. अक्टूबर 2024 में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ चीफ्स ऑफ पुलिस (आईएसीपी) ने इस योजना को सर्वश्रेष्ठ सामुदायिक पुलिसिंग योजना का पुरस्कार प्रदान किया. इस उपलब्धि ने मध्य प्रदेश की सामुदायिक पुलिसिंग को वैश्विक मंच पर गौरवान्वित किया है. सृजन एक प्रेरणादायक मॉडल सृजन योजना ने न केवल बालिकाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा को मजबूती दी है, बल्कि यह सामुदायिक पुलिसिंग का एक प्रेरणादायक मॉडल बनकर उभरी है. इस योजना के माध्यम से जनोन्मुखी पुलिस कार्यप्रणाली को प्रभावी बनाने में मध्यप्रदेश पुलिस के प्रयासों को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त हुई है.