पेटलावद क्षेत्र के किसानों को खाद, बिजली और सिंचाई जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इन समस्याओं के समाधान के लिए वनवासी कृषि एवं ग्रामीण मजदूर संघ, जिला झाबुआ ने शुक्रवार को तहसीलदार के माध्यम से एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। संघ ने मांग की कि किसानों की समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाए, ताकि उनकी आजीविका और फसल उत्पादन पर संकट न आए।
खाद वितरण केंद्रों पर असुविधा
ज्ञापन में किसानों ने बताया कि खाद वितरण केंद्रों पर लंबी कतारें लगानी पड़ती हैं, लेकिन समय पर खाद नहीं मिल पा रही है। ठंड के मौसम में केंद्रों पर पानी, छाया और अलाव जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
विद्युत आपूर्ति में बाधाएं
संघ ने किसानों की शिकायतों को प्रमुखता से उठाते हुए कहा कि कृषि कार्यों के लिए समय पर बिजली नहीं मिलती। कई बार वोल्टेज की समस्या के कारण उपकरण खराब हो जाते हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
सिंचाई की विकट समस्या
ज्ञापन में माही नहर की क्षतिग्रस्त स्थिति का भी जिक्र किया गया। किसानों का कहना है कि नहर की मरम्मत न होने से पानी की बर्बादी हो रही है और खेतों तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंच रहा। इससे फसलों को नुकसान हो रहा है।
संघ की प्रमुख मांगें
वनवासी संघ ने प्रशासन से मांग की है कि खाद वितरण केंद्रों की व्यवस्था में सुधार किया जाए, विद्युत आपूर्ति की समस्याओं को हल किया जाए, और माही नहर की मरम्मत की जाए। साथ ही, किसानों के लिए सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाने हेतु एक सूचना केंद्र स्थापित करने का भी आग्रह किया।
प्रशासन का आश्वासन
तहसीलदार ने ज्ञापन प्राप्त करते हुए समस्याओं को गंभीरता से लेने और संबंधित विभागों को निर्देशित करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि किसानों की जरूरतों को प्राथमिकता दी जाएगी और जल्द ही समाधान के प्रयास शुरू किए जाएंगे।
ज्ञापन देते समय राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष रादुसिंह भाभर , प्रदेश मंत्री सोमजी भूरिया , जिलाध्यक्ष सुरजी भगोरा , मंगला जी दामनिया, फकीरचंद पाटीदार , सुखराम गामड़ , नाथु भगत , रादु दायमा , शंकर भूरिया , शंभू गामड़ , अमरसिंह परमार , प्रभु निनामा आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे ।
वनवासी कृषि एवं ग्रामीण मजदूर संघ के इस कदम को क्षेत्र के किसानों का समर्थन मिला है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि समस्याओं का समाधान शीघ्र नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।