साइबर तहसील में 2778 प्रकरणों का हुआ निराकरण
खरगोन. साइबर तहसील प्रणाली 01 अप्रैल 2024 से खरगोन जिले में भी प्रारंभ हो गई है। कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा के मार्गदर्शन में साइबर तहसील के अंतर्गत खरगोन जिले के विभिन्न तहसील न्यायालय व नायब तहसीलदार न्यायालय में अब तक नामांतरण के 3064 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इनमें से 2778 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। शेष प्रकरण प्रक्रियाधीन है।
साइबर तहसील प्रणाली के अंतर्गत तहसीलदार कसरावद द्वारा 241, नायब तहसीलदार कसरावद द्वारा 95, नायब तहसीलदार खरगोन द्वारा 51, तहसीलदार खरगोन नगर द्वारा 63, तहसीलदार झिरन्या द्वारा 35, नायब तहसीलदार वृत्त 2 बड़वाह द्वारा 123, तहसीलदार महेश्वर द्वारा 204, अतिरिक्त तहसीलदार वृत्त करही द्वारा 272, तहसीलदार सनावद द्वारा 164, नायब तहसीलदार बलकवाड़ा द्वारा 52, तहसीलदार खरगोन द्वारा 67, नायब तहसीलदार झिरन्या द्वारा 57, नायब तहसीलदार वृृत्त 1 बड़वाह द्वारा 210, तहसीलदार भगवानपुरा द्वारा 72, तहसीलदार सेगांव द्वारा 53, तहसीलदार बड़वाह द्वारा 157, तहसीलदार भीकनगांव द्वारा 234, नायब तहसीलदार भीकनगांव द्वारा 127, नायब तहसीलदार वृत्त कानापुर द्वारा 85, नायब तहसीलदार वृत्त बेड़िया द्वारा 67, अपर तहसीलदार खरगोन द्वारा 57, तहसीलदार गोगावां द्वारा 145, नायब तहसीलदार बिस्टान द्वारा 51 एवं नायब तहसीलदार मंडलेश्वर द्वारा 93 प्रकरणों का निराकरण किया गया है।
उल्लेखनीय है कि राजस्व प्रकरणों की निराकरण में सुगमता लाने के लिए साइबर तहसील की अवधारणा एमपीएसईडीसी द्वारा बनायी गई है। प्रदेश में राजस्व प्रकरणों के निराकरण को सुविधाजनक और पारदर्शी बनाने के लिए प्रदेश सरकार 01 अप्रैल 2024 से साइबर तहसील योजना प्रारंभ की गई है। यह योजना भूखंड के रजिस्ट्री के दोनों पक्षकार जिसमे क्रेता और विक्रेता होते है, विशेष कर क्रेता के लिए वरदान साबित हुई है, क्योंकि उसे रजिस्ट्री के बाद नामांतरण की प्रक्रिया में समय व इसमें होने वाले खर्च की बचत हो रही है। साइबर तहसील में रजिस्ट्री के बाद समय सीमा में नामांतरण की प्रक्रिया पारदर्शी रूप से हो जाती है।
साइबर तहसील की प्रक्रिया में रजिस्ट्री होने के बाद क्रेता के नाम से तहसीलदार लॉगिन में आरसीएमएस पोर्टल पर प्रकरण दर्ज हो जाता है। तहसीलदार लॉगिन से पटवारी रिपोर्ट के लिए ऑनलाइन ही जानकारी भेज दी जाती है। इसमें यह फायदा है कि पटवारी यदि निश्चित समय पर रिपोर्ट पेश नहीं करता है, तो साइबर तहसीलदार विधिवत आदेश पारित कर देता है तथा आदेश का अमल भी साइबर तहसीलदार करता है, अमल करने में पटवारी की आवश्य कता नहीं होती है।
प्रदेश के सभी जिलों में साइबर तहसील परियोजना लागू हो जाने से अब रजिस्ट्री के बाद भूमि के नामान्तरण के लिये क्रेता और विक्रेता को न तो तहसील कार्यालय में जाकर आवेदन करने की जरूरत होती है और न हीं उन्हें पेशी पर उपस्थित होना पड़ता है। विक्रय पत्र (रजिस्ट्री) के निष्पादन के तुरंत रजिस्ट्रार कार्यालय से स्वचालित प्रक्रिया के माध्यम से नामान्तरण का प्रकरण दर्ज करने के लिये आरसीएम एस पोर्टल पर साइबर तहसील को भेज दिया जाता है और आपत्ति प्राप्त नहीं होने की स्थिति में तहसीलदार द्वारा तय समय सीमा के भीतर नामान्तरण आदेश भी पारित कर दिया जाता है।