जैसा अन्न वैसा मन – बीके प्रहलाद

अन्न का सौ प्रतिशत असर पड़ता है हमारे मन पर – राजयोगी प्रहलाद भाई

बीके प्रहलाद ने बताए संतुलित भोजन के फायदे

ग्वालियर: पनिहार स्थित समूह केंद्र सीआरपीएफ परिसर में आज परिवार कल्याण केंद्र/ आरसीडब्ल्यूए समूह केंद्र पर “संतुलित आहार का महत्व” विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुआ। जिसमें ब्रह्माकुमारीज संस्थान के मोटिवेशनल स्पीकर एवं राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे।कार्यक्रम आरसीडब्ल्यूए की अध्यक्षा श्रीमती सुनीता निगम की अध्यक्षता में हुआ।जिसमें ग्रुप केंद्र सीआरपीएफ के अधिकारी अधीनस्त अधिकारी तथा जवानों के परिवार एवं महिला कार्मिक उपस्थित थीं। साथ ही विशेष वक्ता के तौर पर आयुर्वेदाचार्य डॉ विजय गुप्ता भी उपस्थित थे।

आज देश मेे जितनी तेजी से फास्टफूड के स्टॉल एवं रेस्टोरेंट बढ़ रहे हैं, उससे कहीं अधिक तेजी से बीमारियों की संख्या भी बढ़ रही है। अंसतुलित खान पान की वजह से लोग बीमार पड़ रहे हैं। जैसा अन्न हम खाते हैं, वैसा ही हमारा मन और शरीर बनता है,अन्न का हमारे मन पर सौ प्रतिशत असर पड़ता है। इसलिए हमें शुद्ध सात्विक एवं संतुलित आहार ही लेना चाहिए। यह विचार ब्रह्माकुमारीज के मोटीवेशनल स्पीकर एवं राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने पनिहार स्थित सीआरपीएफ अधिकारी, जवानों एवं उनके परिवारों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

प्रहलाद भाई ने कहा कि हमेें लगातार और जरूरत से ज्यादा खाने की आदत त्यागनी होगी। हमारे शरीर को जितनी आवश्यकता हो उतना ही भोजन करें। एक मजदूर को जितने भोजन की आवश्यकता होगी, उतनी एक ऑफिस वर्क करने वाले व्यक्ति को नहीं होगी, लेकिन बिना शारीरिक मेहनत करे आप बैठे बैठे कुछ न कुछ खाते रहेंगे तो वह हजम नहीं होगा और पहले आपको मोटापा फिर अन्य बीमारियों घेर लेंगी, इसलिए कम मिर्च मसालों का सात्विक भोजन करेें।

भोजन में तले-भुने पदार्थों की बजाय अंकुरित अनाज, फल एवं सलाद एवं फायबरयुक्त अनाज का इस्तेमाल करें। उन्होंने आगे कहा कि नमक, शक्कर, मैदा एवं रिफाइंड ऑयल यह चार चीजें हमारे लिए हानिकारक है। इनका कम से कम इस्तेमाल करें। भोजन हमारे ऊर्जा के स्तर को संतुलित करता है, इसलिए संतुलित भोजन ग्रहण करना जरूरी है। और समय पर भोजन करना भी जरूरी है।उन्होंने आगे कहा कि घर मेें जो भी हम पकाएं प्रसन्नता के भाव और सकारात्मक चिंतन करते हुए पकाएं।और यह ध्यान रखें कि भोजन बनाते समय एवं खाते समय यदि खुशी नहीं हैं तो वह भोजन खाने के बाद भी आपके मन में खुशी उत्पन्न नहीं करेगा।
इसके साथ ही उन्होंने सभी को कुछ टिप्स भी दिए
-भोजन करते हुए मौन रहें, टीवी न देखें और मोबाइल का इस्तेमाल न करें, क्योंकि जिस भाव से हम भोजन ग्रहण करेंगे, वैसा ही मन होगा।
-भोजन में सभी पोषकतत्व प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, वसा, खनिज एवं विटामिन हों।
-बीमारियों से बचने के लिए शरीर को समय दें। नियमित योग एवं मेटीडेटेशन करें, जिससे शरीर लचीला बना रहे।

इस अवसर पर आयुर्वेदाचार्य डॉ विजय गुप्ता ने कहा कि हम जिस जलवायु में पैदा हुए हैं, वहां का प्रचलित भोजन ही हमें करना चाहिए। पेट का संबध मस्तिष्क से होता है, इसलिए पेट को ठीक बनाए रखें। सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले ही भोजन करें तो और अच्छा है। सुबह उठकर उकड़ू बैठकर एक से डेढ़ लीटर पानी अवश्य पिएं। भोजन करने के बाद कुछ समय वज्रासन में जरूर बैठें।
इसके साथ ही आरसीडब्ल्यूए की अध्यक्षा श्रीमती सुनीता निगम ने संतुलित एवं सात्विक भोजन पर अपने विचार रखते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।

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