संविधान के मार्गदर्शन में हो रहा है विकसित भारत का निर्माण: मोदी

नयी दिल्ली, 26 नवंबर (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान को वर्तमान और भविष्य का मार्गदर्शक बताते हुए मंगलवार को कहा कि इसकी मूल भावना के अनुसार ही उनकी सरकार विकसित भारत का निर्माण कर रही है।

संविधान दिवस के अवसर पर उच्चतम न्यायालय की ओर से आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा, “हमारा संविधान हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य का मार्गदर्शक है। आज हर देशवासी का एक ही ध्येय है- विकसित भारत का निर्माण। सरकार लगातार इसी दिशा में काम कर रही है।” उन्होंने कहा कि विकसित भारत का मतलब सभी देशवासियों की जिंदगी में सुधार और सब के जीवन का सम्मान है और यही संविधान की उद्देश्य है।

उन्होंने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे 53 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोले गए, जिन्हें आजादी के बाद से अब तक यह सुविधा नहीं मिली थी। पिछले 10 वर्षों में चार करोड़ लोगों को पक्का मकान दिए गए जो खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर थे। इसी प्रकार 10 करोड़ महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन दिए गए।

श्री मोदी ने कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों में 12 करोड़ से अधिक लोगों को नल से जल पहुंचने की व्यवस्था की गई। आजादी के बाद इससे पहले मात्र तीन करोड़ लोगों के पास नल से जल की व्यवस्था थी।

प्रधानमंत्री ने कहा दिव्यांग और उभयलिंगी लोगों के लिए कई प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई गई। डेढ़ करोड़ से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की व्यवस्था इस सरकार ने की, जबकि 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को मुफ्त इलाज दी जा रही है। उन्होंने ने कहा कि अब सभी के लिए 80 प्रतिशत तक की छूट के साथ दवाईयां उपलब्ध है। पूरे देश में टीकाकरण शत-प्रतिशत किया जा रहा है। पिछड़े जिलों में विकास की गति तेज की गई है। उन्होंने कहा कि ढाई करोड़ घरों को बिजली के मुफ्त कनेक्शन दिए गए। आजादी के बाद पहली बार ‘जमीन बैंक’ की व्यवस्था की गई जिसमें जमीन से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं।

श्री मोदी ने कहा कि संविधान की मूल भावना के अनुसार लोगों को न्याय दिलाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे संविधान निर्माता ये जानते थे कि भारत की आकांक्षाएं, भारत के सपने समय के साथ नई ऊंचाई पर होंगे। वो जानते थे कि आजाद भारत की और भारत के नागरिकों की ज़रूरतें बदलेंगी, चुनौतियां बदलेंगी।

इसलिए उन्होंने हमारे संविधान को महज कानून की एक किताब बनाकर नहीं छोड़ा, बल्कि इसको एक जीवंत, निरंतर प्रवाहमान धारा बनाया।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान की भावना के अनुसार बदलाव किए जा रहे है और इसका लाभ आम नागरिकों को मिल रहा है।

उन्होंने कहा, “भारतीयों को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए नई न्याय संहिता लागू की गई है। दंड आधारित व्यवस्था और न्याय आधारित व्यवस्था में बदल चुकी है।”

प्रधानमंत्री ने इस अवसर आज ही दिन 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमले का जिक्र किया और उसमें जान गवाने वालों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मोदी ने चेतावनी देते हुए कहा कि भारत आतंकवादी संगठनों या उसके किसी भी रूप में के साथ शक्ति से निपटने को तैयार है और उसे मुंहतोड़ जवाब देगा।

श्री मोदी ने अपने भाषण को केवल अपनी सरकार के कार्यों और योजनाओं तक सीमित रखा और भाषण समाप्त करते हुए विनोदपूर्ण अंदाज में कहा कि मैंने संविधान की मर्यादा का पालन करते हुए सरकार के काम तक ही सीमित रखा।

इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल, बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी समेत, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, उच्चतम अदालत और उच्च न्यायालय के अनेक वर्तमान और पूर्व न्यायाधीश समेत अनेक गनिमण्य लोग मौजूद थे।

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