त्यौहारी रौनक में दब गई लोकसभा चुनाव की तैयारी

पार्टियों को नहीं मिल रहे कार्यकर्ता,राष्ट्रीय मुद्दों ने दबाया प्रत्याशियों का रिपोर्ट-कार्ड

 

नवभारत न्यूज

खंडवा। इस बार का लोकसभा चुनाव अजीब तरीके से लड़ा जा रहा है। दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी त्यौहारी रौनक में गुम हो गए हैं। खंडवा जैसे मुख्यालय में भी न प्रत्याशी नजर आ रहे हैं, न ही उनके कार्यकर्ता। कांग्रेस कार्यालय गांधीभवन में तो गणगौर की उमंग व उत्साह ने ले ली है। भाजपा कार्यालय भी बिन कार्यकर्ताओं के सूना है। लोकसभा के टिकिट पाने वाले प्रत्याशियों से ज्यादा जोर पार्टियों के प्रमुखों के चेहरों पर रहेगा। विचारधारा और महंगाई जैसे मुद्दों पर लोग फोकस करेंगे। जो जनप्रतिनिधि चुनकर दिल्ली जाएगा। उसका रिपोर्टकार्ड ज्यादातर मतदाताओं की नजर में कम ही मायने रखेगा।

इस सबका कारण निमाड़ का प्रमुख उत्सव गणगौर-पर्व है। लोग इसी त्यौहार में लगे हुए हैं। प्रत्याशियों को कार्यकर्ताओं ने भी त्यौहार बाद का समय दिया है। यह बात अलग है कि लोकसभा चुनाव को ठीक एक महीना ही बचा है।

चुनाव पर हावी त्यौहार

खंडवा लोकसभा में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। एरिया लंबा है। कांग्रेस प्रत्याशी को हाल ही में टिकिट मिला है। वे अधिकतर मतदाताओं से रूबरू भी नहीं हो सक ते। इसमें भी अन्य इलाकों में पहले चुनाव आ गया। गणगौर व ईद जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार के कारण चुनाव प्रचार नहीं हो रहा है।

वोटर लिस्ट के भी लाले

अंदरूनी तौर पर तो भाजपा ने मतदाता सूचियां व बूथ स्तर पर जिम्मेदारियां सौंप दी हैं, लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता उन कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशियों से डेटा एकत्रित कर रहे हैं, जिन्होंने हाल ही में विधानसभा चुनाव लड़ा था।

झंडे बैनरों की बात तो दूर कार्यकर्ताओं का भी टोटा साफ दिख रहा है।

शोर नहीं दिखेगा

मतलब साफ है कि इस बार बगैर शोर-शराबे वाला चुनाव होगा। वोट मांगती जीपें और उन पर लगे लाउडस्पीकर कम ही बज पाएंगे। केवल सोशल मीडिया के भरोसे ही चुनाव लड़ा जाएगा। अखबारों व न्यूज चैनलों में भी खंडवा लोकसभा क्षेत्र को लेकर रणनीति नजर नहीं आ रही हैं। पार्टी कार्यालयों में लोग एकत्रित नहीं हो रहे हैं।

 

प्रशासन को ज्यादा चिंता

 

केवल प्रशासन ही अधिक से अधिक मतदान के लिए ज्यादा सक्रिय दिख रहा है। प्रत्याशी तो चुपचाप दौरे कर रहे हैं। बड़े नेता भी खंडवा लोकसभा क्षेत्र की तरफ मुंह उठाकर नहीं देख रहे हैं। इसका कारण बताया जा रहा है कि यहाँ चौथे और आखिरी राउंड में मतदान की तारीख है। ऐसे में अभी मध्यप्रदेश व देश के अन्य क्षेत्रों में बड़े नेता व स्टार प्रचारक लगे हुए हैं।

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