हत्या के आरोपियों को 10-10 वर्ष का कारावास

विशेषज्ञ साक्षी की साक्षी को प्रत्यक्ष साक्ष्य से अधिक महत्व नहीं- न्यायाधीश

विवेचना में कमी के आधार पर दोषमुक्त करना विवेचक को निराकरण का अधिकार देने के समान- न्यायाधीश

नवभारत, न्यूज

दमोह.अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार गुप्ता द्वारा हत्या के मामले में निर्णय करते हुए पिता पुत्र सहित एक ही परिवार के छह आरोपियों को धारा 302 भादवि की जगह धारा 304 भाग 2 में दोषी मानते हुए 10-10 वर्ष सश्रम जेल में रहने व सत्ताइस हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया है.मामले में म.प्र. शासन की ओर से पैरवी शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई.अभियोजन अनुसार मामला इस प्रकार है, दिनांक 9 अक्टूबर 2021 को थाना हिंडोरिया अंतर्गत ग्राम सलैया में दिनांक 8 अक्टूबर 2021 को रात 9 बजे गुलाब सिंह लोधी व आरोपी टेक सिंह लोधी पिता भगुन सिंह लोधी के बीच में किसी बात को लेकर विवाद हो गया था,विवाद को उस समय गांव के लोगों ने शांत करा दिया था. दूसरे दिन सुबह 8 बजे उसी बात को लेकर गुलाब सिंह, श्रीराम, जगत सिंह और गीताबाई आरोपी टेकसींग के घर उलाहना देने जा रहे थे. जैसे ही वह लोग झाम सिंह लोधी के घर के पास पहुंचे, तो सभी आरोपी टेकसींग पिता भगुन सिंह लोधी (45) हरि सिंह पिता साहब सिंह लोधी (40) साहब सिंह पिता नन्हे सिंह लोधी (60) दिलीप सिंह पिता भूपेंद्र सिंह लोधी (23) रमेश पिता जीवन सिंह लोधी (36) छोटे सिंह पिता दरयाव सिंह लोधी (40 वर्ष) वहां पर आकर गालियां देने लगे. जब उन्हें गालियां देने को मना किया तो आरोपीगण ने श्रीराम, जगत सिंह और गुलाब सिंह के साथ लाठियो से मारपीट कर दी. गीताबाई बचाने आई तो आरोपी साहब सिंह ने उसके साथ लात घूसो से मारपीट की. आरोपियों के जाने के बाद गीताबाई, श्रीराम, गुलाब सिंह, और जगत सिंह ने थाना हिंडोरिया पहुंचकर घटना की रिपोर्ट लिखाई. अस्पताल में इलाज के दौरान गुलाब सिंह की मृत्यु हो गई. पुलिस ने आरोपियों गिरफ्तार कर मामला न्यायालय में पेश किया. प्रकरण में अभियोजन ने 15 साक्षियों का परीक्षण वास्ते न्यायालय के सामने पेश किया. बचाव पक्ष ने तर्क के दौरान व्यक्त किया कि विवेचक द्वारा न्यायालय में रोजनामचा सांहा जैसा महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश नहीं कर प्रकरण को सिद्ध करने में कमी रखी है,तो न्यायालय ने निर्णय में व्यक्त किया कि विवेचना की कमी के आधार पर दोषमुक्त करना विवेचक को प्रकरण के निर्णय का अधिकार देने जैसा होगा. बचाव पक्ष ने यह भी व्यक्त किया कि मृतक सहित अन्य आहतगण ने अभियुक्तगण के साथ घटना दिनांक को मारपीट की थी, जिसका काउंटर प्रकरण भी चल रहा है, मृतक सहित अन्य आहतगण को मारपीट कर भागते समय गिरने से चोट आई है. वैसे भी चिकित्सक ने आहतगण द्वारा बताई गई. मारपीट की चोटे उतनी नहीं बताई है जितनी आहतगण ने न्यायालय के समक्ष बताइ है. न्यायालय ने निर्णय में व्यक्त किया कि विशेषज्ञ साक्षी की साक्षी को प्रत्यक्ष साक्ष्य से अधिक महत्व नहीं दिया जा सकता. जब तक कि चिकित्सीय साक्ष्य इस प्रकृति की न हो कि वह चोटे आने की सभी अधिसंभाव्यता को समाप्त करती हो. न्यायालय ने आरोपियों को घटना करने का दोषी मानकर अपना निर्णय देकर आरोपियों को जेल भेज दिया.

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