किसी भी पद पर रहे, मित्रता भाव हमेशा बनाए रखना: यादव

भोपाल, 13 नवम्बर (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि विद्यार्थियों को अपना जुनून हमेशा कायम रखना चाहिए। इच्छाशक्ति जितनी दृढ़ होगी, लक्ष्य उतना ही आसान होगा। उन्होंने कहा कि जीवन में किसी भी पद पर पहुंचे, मित्रता का प्रेमभाव हमेशा बनाए रखना। इसका सबसे अच्छा उदाहरण श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती का है।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार डॉ. यादव राजस्थान के कोटा जिले में एलन शिक्षण संस्थान के समउन्नत भवन में विद्यार्थियों से चर्चा कर रहे थे। उनकी दोस्ती 11 वर्ष की उम्र में हुई थी और जब वे द्वारका के राजा बने तब भी उनकी दोस्ती ने दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया। प्रारंभ में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का विद्यार्थियों ने गजहार पहनाकर स्वागत किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लक्ष्य प्राप्ति का इससे अच्छा उदाहरण दूसरा नहीं हो सकता कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात में पहली बार विधायक बनने के साथ ही मुख्यमंत्री बने और लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री के बाद वे पहली बार सांसद बनें और पहली बार में ही देश के प्रधानमंत्री बनें। इसके बाद लगातार सांसद बने और प्रधानमंत्री भी। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में हैट्रिक भी बनाई। आर्थिक दृष्टि से गुजरात देश के अन्य राज्यों की तुलना में अग्रणी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने अपने शैक्षणिक काल से ही अपना लक्ष्य समाज सेवा के रूप में निर्धारित किया था। वर्ष 1982 में मेरा चयन मेडिकल कॉलेज के लिए हो गया था, परंतु समाज सेवा के अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैंने मेडिकल में प्रवेश न लेते हुए, बीएससी की उपाधि प्राप्त की। मैं यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट रहते हुए राजनीति में सक्रिय रह सका। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता के तीन मूल मंत्र हैं, जिन्हें विद्यार्थियों को आत्मसात करना चाहिए। पर्याप्त नींद लें, नियमित रूप से व्यायाम करें और प्राणायाम को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। उन्होंने बताया‍कि अपने लक्ष्य पर शुरू से ही ध्यान केन्द्रित रखना चाहिए।

डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण 11 वर्ष की आयु में मथुरा से राजस्थान होते हुए मध्यप्रदेश के उज्जैन पधारे थे। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी यात्रा के दौरान प्रदेश में जहां-जहां विश्राम किया या ठहरे उन स्थानों को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा धार्मिक महत्व के तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शिक्षा काल में जिन ग्रंथों का अध्ययन किया, उन ग्रंथों का सार गीता में समाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थी निराशा को अपने आप पर हावी न होने दें। जब निराश हो जाए तो राजनेताओं की तरफ देखें, वे बार-बार चुनाव लड़ते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। कई बार विद्यार्थी लक्ष्य प्राप्ति की दौड़ में पीछे रह जाते हैं तो उन्हें निराश नहीं होना चाहिए, जबकि दोगनी ऊर्जा के साथ फिर प्रयास करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि एलन शिक्षण संस्थान मध्यप्रदेश के उज्जैन में अपने संस्थान प्रारंभ करें, जिससे मध्यप्रदेश के छात्रों को भी स्थानीय स्तर पर लाभ प्राप्त हो सकेगा।

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