*मनुष्य जीवन में सत्संग करना परम आवश्यक*
ग्वालियर। श्री सनातन धर्म मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस कथा व्यास सतीश कौशिक ने आज सती प्रसंग, ध्रुव चरित्र, अजामिल की कथा एवं प्रह्लाद की कथा, नरसिंह अवतार की कथा श्रवण कराते हुए कहा मनुष्य जीवन में सत्संग करना परम आवश्यक है। संतों का संग़ करना ही वास्तविक सत्संगहै। भगवान ने भी कहा है ‘प्रथम भगती संतन कर संगा’। सत्संग के बिना जीव का कल्याण संभव नहीं है। संतों का संग़ करने से सत्संग में प्रति बढ़ती है, हृदय में भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न होता है। चित्त में भक्ति के संस्कार उत्पन्न होते हैं। प्रत्येक माता पिता को अपने बच्चों को सत्संग में अवश्य ही लाना चाहिए, घर में मोबाइल, यू ट्यूब, सोशल मीडिया पर अच्छे संतों का सत्संग सुनने का नित्य नियम बनाना चाहिए, इससे उनके अंदर अच्छे संस्कार, सद्गुण विकसित होंगे, वे गलत संगत से बचेंगे, और भविष्य में उनके जीवन में भटकाव नहीं आयेगा। सत्संग हमें संयमित एवं अनुशासित जीवन जीने की कला सिखाता है जो अन्य किसी भी माध्यम से सम्भव नहीं है। कौशिक जी ने वृत्तासुर की कथा सुनाते हुए चतुश्लोंकी भागवत का भी वर्णन किया।
कथा के मुख्य यजमान श्रीमती सरोज बंसल, अजय बंसल, विजय बंसल, श्रीमती गीता बंसल, श्रीमती शशि बंसल, भरत बंसल ने भागवत जी की आरती उतारी। आरती उपरांत प्रसाद वितरण हुआ।