भिंड: भिंड के एक आरा मिल में लकड़ियों के बीच दुर्लभ प्रजाति का सांप बैठा था। अजगर की तरह दिखने वाले इस सांप को जब वन विभाग की टीम रेस्क्यू करने पहुंची। रेस्क्यू टीम द्वारा जब सांप पकड़ने वाली स्टील की छड़ी को आगे किया वैसे ही उसने फन से हमला कर दिया। कड़ी मशक्कत के बाद वन अमले ने सांप को पकड़ा और शहरी क्षेत्र से करीब छह किलोमीटर दूर बीहड़ में छोड़ा गया। दबोहा की पुलिया पर शंभुदयाल की आरा मिल है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि आरा मिल में कटाई-चिराई के लिए आने वाले लकड़ियों में छिपकर सांप आ गया।
सफेद, मटमैली धारियों वाला यह सांप अलग प्रकार का है। देखने में अजगर का छोटा बच्चा जैसा दिख रहा था। आरा मिल के कर्मचारियों ने जब यह लकड़ी के सहारे पकड़ना चाहा तो उसने अपनी फुर्ती दिखाई ओर लकड़ी पर हमला कर दिया। यह देखकर आरा मिल पर काम करने वाले डर गए। सांप को पकड़े जाने के लिए वन अमला को सूचना दी गई। रात के समय इस सांप को पकड़ने के लिए वन विभाग से जय किशन परिहार और सुरेश अटल पहुंचे। दोनों कर्मचारियों को सांप को पकड़ने के लिए करीब 30 मिनट तक पसीना बहना पड़ा। इस दौरान सांप को पकड़ने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों ने स्टील की छड़ी से सांप को पकड़ा। सांप ने स्टील की छड़ पर हमला कर दिया। इस तरह रेस्क्यू टीम के सदस्यों ने सांप को छड़ी से पकड़कर एक बोरी में कैद किया। इसके बाद उसे शहरी क्षेत्र से करीब छह किलोमीटर दूर क्वांरी नदी की बीहड़ में छोड़ा गया।
वनमंडल अफसर बीएस होतगी के मुताबिक रेस्क्यू टीम द्वारा जिस तरह का सांप पकड़ा है वैसे सांप अफ्रीकन प्रजाति के होते है। यह सांप बीहड़ में नहीं पाए जाते है। पिछले दिनों बाढ़ के पानी में बहकर कही से आया होगा। ये सांप रैसल वाइपर कहलाते है। यह अति दुर्लभ प्रजाति के होते हैं। जिसके काटने पर शरीर में खून के थक्के बन जाते है और आदमी की कुछ ही मिनटों में मौत हो जाती है। यह बहुत जहरीला हाेता है।