नयी दिल्ली, 07 नवंबर (वार्ता) कांग्रेस ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए आज कहा कि श्री गांधी ने अपने लेख में औपनिवेशिक काल की लूट का उल्लेख किया है और श्री सिंधिया को इसे व्यक्तिगत नहीं लेना चाहिए लेकिन उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि ग्वालियर रियासत ने हिंदुस्तानी विद्रोहियों को कुचला और अंग्रेजों का साथ दिया था।
कांग्रेस ने यह प्रतिक्रिया पार्टी नेता राहुल गांधी के लेख पर श्री सिंधिया की उस टिप्पणी पर दी है जिसमें उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जो लोग नफरत बेच रहे हैं उन्हें भारत के गौरव और इतिहास को लेकर लेक्चर देने का अधिकार नहीं है। श्री गांधी ने भारत की वैभवशाली विरासत को लेकर सारी सीमाएं लांघ कर टिप्पणी की है।
श्री सिंधिया की इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा “हिस हाइनेस सिंधिया जी, आपने राहुल जी के एकाधिकारवादी निगम पर हमले को थोड़ा पर्सनली ले लिया। इस निगम ने अपने शिकंजे से देश के नवाबों और राजे-रजवाड़ों को डरा-धमका कर भारत को गुलाम बनाकर हमें लूटने का काम किया था। इतिहास के अनुसार ग्वालियर के सिंधिया परिवार की भूमिका 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जटिल रही। श्रीमंत जयाजीराव सिंधिया, जो उस समय ग्वालियर के शासक थे, उन्होंने अपनी सेना को ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद के लिए भेजा और विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई करवाई। इतिहास में यह स्पष्ट है कि श्रीमंत जयाजीराव ने उस एकाधिकारवादी निगम का साथ दिया। हम उनकी वतन परस्ती पर शक नहीं करते, उन पर दबाव रहा होगा और उसी दबाव का ज़िक्र राहुल गांधी जी ने अपने लेख में भी किया है।”
उन्होंने लिखा “खैर, ग्वालियर की सेना के कई सैनिक और अधिकारी विद्रोह में शामिल हो गए थे क्योंकि उन्होंने अपने डर से पार पा लिया था। हिंदुस्तानी बागियों के नेता तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर पर क़ब्ज़ा कर लिया था। श्रीमंत जयाजीराव सिंधिया को अपना महल छोड़कर भागना पड़ा लेकिन बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद से उन्होंने फिर से ग्वालियर पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। इस प्रकार औपचारिक रूप से सिंधिया शासकों ने ईस्ट इंडिया कंपनी का समर्थन किया लेकिन उनकी सेना के कई सदस्य स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए, क्योंकि जनता शासकों से ज्यादा समझदार, वतन परस्त और बेख़ौफ़ थी। बाद के वर्षों में भी सिंधिया परिवार ने आमतौर पर ब्रिटिश राज के साथ सहयोग की नीति अपनाई थी।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा “सिंधिया जी, इतिहास हमें सबक लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है, ना कि झूठी मनगढ़त बातों के सहारे जीने के लिए। भारत में भूत (पास्ट) चढ़ना इसी को कहते हैं। खैर मैंने आपका भूत 1857 में उस एकाधिकारवादी निगम से हिंदुस्तानियों की बगावत के सच्चे इतिहास से उतारने की कोशिश की है। उम्मीद है कि उतर गया होगा। वरना मुझे आपके आवास पर एक पूरा बंडल इतिहास की किताबों का भिजवाना पड़ेगा ताकि आपका ‘भूत’ उतरे। और दूसरा मुझे देश के किसान, मजदूरों, दलित आदिवासियों से एक ट्रक हौंसला भी भिजवाना पड़ेगा जिससे आप देश में अभी हाल ही में चल रहे एकाधिकारवादी निगम के खिलाफ बोलने के लिए तगड़े हो सकें।”