श्रीनगर, 06 नवंबर (वार्ता) जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा राज्य को विशेष दर्जा बहाली के पारित प्रस्ताव को एक दुविधापूर्ण कदम और आधे-अधूरे मन से किया गया कदम बताया।
सुश्री मुफ्ति ने कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर में 04 अगस्त, 2019 की स्थिति को पूरी तरह से बहाल करने का प्रयास करेगी।उन्होंने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विशेष दर्जा बहाली पर बातचीत का आह्वान करने वाले प्रस्ताव के पारित होने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रस्ताव की ‘आधे-अधूरे’ भाषा पर तीखी आलोचना की।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,’अब यह संदेह से परे साबित हो गया है कि अगर विपक्ष वास्तविक इरादे और स्पष्ट एजेंडे से प्रेरित है तो संख्या मायने नहीं रखती है। सुश्री मुफ्ती ने कहा, ‘चाहे विपक्ष में एक व्यक्ति हो या कुछ लोग, अगर उनके पास साफ-सुथरा एजेंडा है और वे ईमानदार हैं तो वे सरकार को जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को संबोधित करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।’
उन्होंने पीडीपी के लंबे समय से चले आ रहे रुख पर विचार करते हुए बताया कि यह उनकी पार्टी ही थी जिसने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की मांग उठाई थी। पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा बातचीत का समर्थन करना विडंबनापूर्ण है और मौजूदा प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द करने के 2019 के फैसले की स्पष्ट निंदा नहीं की गई है।
उन्होंने कहा,’यह केवल ‘चिंता’ व्यक्त करता है और बातचीत का आह्वान करता है। उन्होंने कहा, ‘यह 2019 के फैसले का स्पष्ट रूप से विरोध या निंदा करने में विफल रहा है।’
सुश्री मुफ्ति ने जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा सामना किए जा रहे ‘अपमान’ को संबोधित किए बिना बातचीत की धारणा पर सवाल उठाया और कहा कि पीडीपी के वहीद-उर-रहमान पारा द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव की भाषा अधिक निश्चित थी जिसमें 2019 से पहले की तरह जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की पूर्ण बहाली का आह्वान किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘केवल चिंता व्यक्त करने के बजाय इसमें स्पष्ट रूप से कहा जाना चाहिए कि यह सदन अनुच्छेद 370 और 35ए को उनके मूल स्वरूप में बहाल करने का संकल्प लेता है।’
पूर्व मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि सच्ची राष्ट्रीय एकता विविधता का सम्मान करने में निहित है जिसे जम्मू-कश्मीर ने 1947 में भारत में शामिल होने के समय अपनाया था। उन्होंने सुझाव दिया कि उनकी पार्टी 2019 के फैसले के प्रति अधिक मजबूत विरोध और क्षेत्र के विशेष दर्जे को बहाल करने के लिए अधिक ईमानदार आह्वान को दर्शाने के लिए प्रस्ताव में संशोधन का प्रस्ताव कर सकती है।
सुश्री मुफ्ति ने कहा,’अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस और सरकार ने यह कदम उठाया है तो हम इसका स्वागत करते हैं। हालांकि यह सुनिश्चित करना पीडीपी की जिम्मेदारी है कि प्रस्ताव सही मायने में लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।’