बहनों ने भाई के माथे में भाईदूज पर लगाया रक्षा टीका

  • जिले भर में भाईदूज के त्यौहार की रही धूम, बहनों ने भाइयों के लंबी आयु की कामना की

नवभारत न्यूज

सीधी 3 नवम्बर। भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक भाईदूज रविवार को जिले भर में मनाया गया। भाई के माथे पर रक्षा तिलक लगाकर बहनों ने उनके उज्जवल भविष्य, खुशहाली, दीर्घायु, सुख-समृद्धि की कामना की। भाईयों ने भी बहनों को उपहार आदि भेंट किये।

हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाईदूज मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के सुखी जीवन की कामना करते हुए रक्षा तिलक माथे पर लगाती हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना की पूजा की जाती है। भाईदूज के त्यौहार को लेकर बाजार में सुबह से ही काफी भीड़भाड़ रही। भाई भी अपने बहन के पास आकर रक्षा तिलक लगवाते हुए उपहार भेंट किया। इस दौरान भाईयों ने बहनों की जीवन भर रक्षा करने का संकल्प भी लिया। दरअसल बहनों को भाई दूज आने का इंतजार काफी बेसब्री से रहता है जिससे वह अपने भाई को रक्षा तिलक लगाकर उसके दीर्घायु की कामना करने के साथ ही सुख-समृद्धि के लिए भी आर्शीवाद दे सके। भाई भी भाईदूज के अवसर पर अपने बहन के पास प्राथमिकता के साथ पहुंचते हैं। कई भाई नौकरी, पढ़ाई के कार्यों में बाहर रहने के बाद भी आज भाईदूज पर अपनी बहन के पास पहुंचे। जिले भर में भाईदूज को लेकर कई दिनों से तैयारियां चल रही थी। वहीं बहनों ने भी अपने भाईयों की पसंद को ध्यान में रखते हुए काफी खरीदी की थी। जिससे भाई का अच्छे से स्वागत किया जा सके। कुछ भाई-बहन विभिन्न कारणों से एक साथ नहीं आ पाए इस वजह से उनके द्वारा वर्चुली भाईदूज के त्यौहार को मनाया गया। बहनों ने वर्चुली तिलक किया और भाइयों ने भी उसको स्वीकार करके अपने माथे पर लगाया। भाई-बहनों ने एक-दूसरे के साथ त्यौहार की खुशियों को साझा किया। भाईदूज के त्यौहार की धूम जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में समान रूप से देखी गई। बहनों को भाईदूज के त्यौहार की हर वर्ष काफी बेसब्री से प्रतीक्षा रहती है। जिससे वह अपने भाइयों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना पूजन के माध्यम से कर सकें।

उपहार मिलने से बहनों में दिखा उत्साह

भाईदूज के त्यौहार पर आज बहनों को उनके भाइयों द्वारा पसंदीदा उपहार भेंट किए गए। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भाई अपनी बहन के घर भोजन करे तो उसे दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए कई घरों में भाई को बहन के हांथ का बना भोजन कराया जाता है। भाईदूज पर बहने अपने भाइयों के लिए विशेष पूजा-अर्चना करती हैं और भाइयों की लंबी आयु की कामना करती हैं। भाईदूज के त्यौहार पर बहनों द्वारा माथे पर तिलक लगाकर सुख-समृद्धि एवं स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की जाती है। भाईदूज का त्यौहार दीपावली के बाद आता है। इस वजह से बहने इसका काफी बेसब्री से इंतजार करती हैं। भाईदूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है क्योंकि यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में होता है। इस त्यौहार के पीछे कई धार्मिक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं जो इस पर्व को और भी महत्वपूर्ण बनाती है। भाईदूज का पर्व काफी प्राचीन है और इसकी रौनक आज भी मौजूद है।

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