नयी दिल्ली, 08 अप्रैल (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने सूखा राहत सहायता के तौर पर 35,162 करोड़ रुपये जारी करने के आवश्यक निर्देश केंद्र सरकार को देने की मांग वाली कर्नाटक सरकार की एक याचिका पर सोमवार को अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वे इस मामले में जरूरी निर्देश (केंद्र सरकार से) लेकर दो सप्ताह बाद होने वाली अगली सुनवाई के दिन न्यायालय को सूचित करें।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा, “केंद्र और राज्यों के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए। हमने देखा है कि विभिन्न राज्य सरकारों ने इसके लिए याचिकाएं दायर की हैं।”
केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपदा राहत राशि विवाद को सुलझाने के लिए शीर्ष अदालत से समय देने की गुहार लगाई।
पीठ के समक्ष श्री मेहता ने कहा कि राज्यों के बीच ऐसी याचिकाएं दायर करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
उन्होंने याचिका दायर करने के समय (लोकसभा चुनाव के लिए चल रहे प्रक्रिया की ओर इशारा करते हुए) पर सवाल उठाते हुए आगे कहा, “अगर किसी ने किसी स्तर पर बात की होती, तो समस्या हल हो सकती थी।”
इस पर कर्नाटक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें फंड जारी करने के बारे में एक महीने के भीतर फैसला करना था, जो दिसंबर 2023 में खत्म हो गया था।
पीठ ने इन दलीलों पर अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा, “उम्मीद करते हैं कि आपके हस्तक्षेप से समस्या का समाधान हो सकता है।”
इसके बाद पीठ ने मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हुए कहा, “अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल दोनों निर्देश (सरकार से) लें और अदालत को सूचित करें।”
कर्नाटक सरकार ने चुनाव आयोग को एक पक्ष बनाने के लिए दायर आवेदन का हवाला दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा, “एक बार जब हम निर्देश जारी कर देंगे तो चुनाव आयोग उनका पालन करने के लिए बाध्य होगा।”
श्री सिब्बल ने औपचारिक नोटिस जारी करने की पीठ से गुहार लगाई। इस पर श्री मेहता ने अदालत के समक्ष कहा कि इसकी आवश्यकता नहीं हो सकती है।
कर्नाटक सरकार ने अपनी रिट याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय अंतिम निर्णय लेने और सूखा राहत के लिए आवेदन करने के छह महीने बीतने के बाद भी राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से राज्य (कर्नाटक) को वित्तीय सहायता जारी करने में विफल रहा है।
कर्नाटक सरकार की याचिका में कहा गया है कि कृषि राज्य के एक बड़े वर्ग के लिए आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। वर्तमान सूखे की स्थिति ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है। इस स्थिति ने पशुधन को प्रभावित किया है, जिससे पैदावार कम हुई है। किसानों की आय कम हुई है और खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई है। याचिका में कहा गया है कि कृषि में घाटे के परिणामस्वरूप बड़ा आर्थिक प्रभाव पड़ा है, जिससे नौकरियों, आय और राज्य की समग्र आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ा है।
तमिलनाडु ने भी दिसंबर 2023 में चक्रवात ‘मिचौंग’ से हुई तबाही के लिए वित्तीय सहायता के रूप में 19,692.69 करोड़ रुपये की राशि जारी करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की गुहार लगाते हुए शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की थी। तमिलनाडु ने भी अपनी याचिका में केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कई बार अनुरोध के बावजूद निर्धारित धनराशि नहीं दी गई। केंद्र के इस व्यवहार से राज्य के प्रभावित लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।