भगवान के सामने कुछ नही चाहिए यह कह देना सरल बात नही है: राजन जी महाराज

श्रीराम कथा के सातवें दिन भरत संवाद के मार्मिक कथावाचक ने किया वर्णन, श्रोताओं ने कथा का उठाया आनन्द, कथा के मार्मिक वर्णन से भावुक हुये श्रोता

नवभारत न्यूज

सिंगरौली 28 अक्टूबर। जिला मुख्यालय बैढ़न के एनसीएल ग्राउंड बिलौंजी में कथावाचक श्री राजन जी महाराज के द्वारा आज सातवें दिन भगवान श्री भरत संवाद का वर्णन करते हुये कथा का वर्णन किया गया।

कथावाचक श्री महाराज जी ने अपने मुखार बिन्दुओं से कहा कि भगवान श्री राम जी पिता जी के वचनों को सुनकर के और 14 वर्ष के लिए अयोध्या से बाहर निकल गए । प्रभु श्रीराम जी के साथ मॉ जानकी जी एवं लक्ष्मण भईया साथ में चले। पहले दिन तम शांति के पट पर विश्राम हुआ। दूसरे दिन सिंग वेदपुर में निषादराज के पास विश्राम हुआ। प्रात: काल भगवान गंगा के तट पर पहुंचे। जहां पर हमने और आपने केवट भईया के चरित्र को गाया। श्रवण किया। केवट भईया का चरित्र श्रीराम चरित मानस का एक प्रमुख चरित्र है। भक्तों की यदि गाथा गाई जाए तो केवट भईया बड़े अद्भुत व्यक्तित्व हैं। भगवान के सामने कुछ नही चाहिए यह कह देना सरल बात नही है। श्री राजन जी महाराज की आगे बताते हुये कहते हैं कि जब तक इस बात का ज्ञान नही होगा, इस बात का बोध नही होगा, इस बात का प्रबोध नही होगा एवं मन को प्रबोध नही होगा कि औकात से अधिक भगवान ने दिया है। तब तक ये निकलने वाला नही है। वही केवट जी बोलते हैं कि प्रभु जिसको आप दिखाई पड़ गए, आपको देखने के बाद अब जहां देखता हॅू वहां तूह ही तू है। चारो तरफ अब आप ही दिखाई पड़ रहे हैं प्रभु। आपके इस श्याम वर्ण ने मेरे नेत्र के विकार को समाप्त कर दिया। दोष मीट गया। दुख मन को होता है। शरीर को नही होता है। जो मन आपके चरण में लग गया अब उसको दुख कहा से होने वाला है। साथ ही श्री महाराज जी दरिद्रता के बारे में बताते हुये कहा कि गरीबी दरिद्रता नही होती। दरिद्रता का संबंध अभाव से बिलकुल नही है। दरिद्रता का संबंध स्वभाव से है। स्वभाव में यदि दरिद्रता हो गई तो करोड़ पति बनने के बाद भी दरिद्र बने रहेंगे। साथ ही श्री महाराज जी ने दरिद्रता को परिभाषित करते हुये कहा कि मन में किसी वस्तु की चाह रखना ही दरिद्रता है और विस्तार से बताते हुये कहा कि होने के बावजूद भी जो मांग रहा है वो दरिद्र है। घर में रखने का जगह नही है। उसके बाद भी भगवान के आगे हाथ फैलाएं हैं तो हमसे बड़ा दरिद्र संसार में कोई नही है। यही दरिद्रता है। वही केवट जी बोले प्रभु आज तक तो जो कुछ बढ़िया दिखाई पड़ता था तो मन में भाव होता था कि कास हमको मिल जाए। लेकिन सत्य कहता हॅू नाथ आपको प्राप्त करने के बाद अब जीवन में कुछ प्राप्त करने की चाह ही नही बची मेरी। आप ने मेरी दरिद्रता समाप्त कर दी। संसार में सबसे बड़ा दुख दरिद्रता से बढ़ कर कुछ नही हो सकता और जीवन में यदि संत की प्राप्ति हो गई, सत्संग की प्राप्ति हो गई तो ये मानियेगा की जीवन का परमधन की प्राप्ति आपको हो गया तो ये सबसे बड़ा सुख है जीवन का। जहां श्री महाराज जी कहते हैं कि दरिद्रता कैसे समाप्त होगी तो जो प्राप्त हुआ है उसे देखने का स्वभाव बनाइये। जहां केवट भईया श्रीराम जी से कहते हैं कि प्रभु आपके कृपा से दोष चला गया, दोष मीट गया, दरिद्रता चली गई और ताप चला गया अब क्या चाहिए। उक्त श्री राजन जी महाराज के कथावाचक पर राज्य मंत्री राधा सिंह, सिंगरौली विधायक रामनिवास शाह, बीजेपी जिला महामंत्री सुन्दरलाल शाह, डॉ. रविन्द्र सिंह, अरूण चतुर्वेदी, निकिता चतुर्वेदी सहित अन्य भारी संख्या में मौजूद रहे।

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