ना जाने कब बदलेगा कमानिया का समय

महीनों से बंद पड़ी है घड़ी, मेंटेनेंस भी ठप
     
 जबलपुर: शहर के हृदय स्थल कहे जाने वाले कमानिया गेट का समय ना जाने कब बदलेगा। यहां लगी हुई घड़ी कई महीनों से बंद पड़ी है।  मुख्य बाज़ार में स्तिथ ऐतिहासिक स्मारक का उपयोग  नेताओं और जनप्रतिनिधियों के बैनर और पोस्टर लगने में होता रहता है। लगभग एक शताब्दी पुरानी यह स्मारक जबलपुर शहर के लिए एक अलग ही पहचान है। यहां तक कि शहर में इस धरोहर के नाम से ही उस पूरे क्षेत्र को भी जाना जाता है। लेकिन यह धरोहर भी अनदेखी की शिकार हो गई है। यहां पोस्टर बैनर तो लोग लगा देते थे लेकिन इसकी बंद पड़ी घड़ी पर किसी की नजऱ नहीं पड़ती है।
त्रिपुरी कांग्रेस का है स्मारक
स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के दौरान जबलपुर शहर ने एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस के आयोजन में हुई थी । नेताजी सुभाष चंद्रबोस ने 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस  के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के लिए चुनाव जीता था। जबलपुर में उसकी याद में कमानिया गेट बनाया गया था। कमानिया गेट बाजार उस समय शहर की जीवन रेखा थी। आज एक विशाल आभूषण बाजार कमानिया गेट के पास स्थित है। कमानिया गेट सिर्फ एक गेट नहीं है। यह जबलपुर शहर की ऐतिहासिक धरोहर भी है। इसकी नींव में तमाम बातें जड़ी और जुड़ी हैं। इसकी भव्य बनावट गर्व का अहसास कराती है। इसके बाद भी इसकी हालत इस कदर बदहाल हो गई है।

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