सियासत
असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम के बाद इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी प्रदेश की राजनीति में दस्तक दे दी है. मुस्लिम लीग खंडवा, भोपाल, बुरहानपुर जैसे मुस्लिम बहुल जिलों में संगठन बनने पर जोर दे रही है. मुस्लिम लीग का उद्देश्य दलित और मुसलमानों को एकजुट करना है. दरअसल जिस तरह से कांग्रेस प्रदेश में कमजोर होती जा रही है. उस वजह से तीसरे दलों का हस्तक्षेप प्रदेश में बढ़ता जा रहा है. मध्य प्रदेश का गठन 1956 में हुआ था तब से लेकर अब तक भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों की मजबूत मौजूदगी के बीच मप्र में कभी तीसरे दल को पैर रखने की जगह नहीं मिल पाई. वक्त-वक्त पर इसके लिए कोशिशों का सिलसिला जरूर चलता रहा है.
ऐसी ही एक दस्तक फिर सुनाई देने लगी है. दक्षिण भारत में अपना वर्चस्व रखने वाली इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग पार्टी ने हाल ही में भोपाल में बड़ा आयोजन किया. इस कार्यक्रम में केरल से नेता शामिल हुए. मुस्लिम लीग दरअसल मुस्लिम बहुल शहरों में वक्फ बोर्ड के संबंध में चेतावनी देने जा रही है. इसी सिलसिले में भोपाल में कार्यक्रम था लेकिन उनके प्रवक्ता ने कहा कि मध्य प्रदेश में भी पार्टी अपना संगठन बनाएगी. मध्य प्रदेश में भोपाल, खंडवा, बुरहानपुर और सतना जैसे शहरों में पर्याप्त संख्या में मुस्लिम रहते हैं. मध्य प्रदेश की करीब 27 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम 15 से 20 फ़ीसदी हैं. असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम को यहां नगरीय निकाय चुनाव में सफलता भी मिली है.
मुस्लिम लीग, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और चंद्रशेखर आजाद की आजाद पार्टी के साथ मिलकर एक मोर्चा बनना चाहती है. सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने अपने प्रदेश प्रभारियों के नाम तय कर लिए हैं, जिनके नाम शीघ्र ऐलान किए जा सकते हैं. मप्र के आकार लेने से अब तक यहां महज दो पार्टियां भाजपा और कांग्रेस ही अपनी धाक जमाए हुए हैं. हालांकि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवाद पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन जैसी पार्टियों ने भी अपनी किस्मत आजमाई. लेकिन बेहद सीमित क्षेत्र से आगे यह नहीं बढ़ पाई हैं. नई पार्टियों की आमद के मंसूबे भी सिर्फ अपनी राष्ट्रीय स्तर की पहचान को मजबूत बनाए रखने तक ही सिमटे हुए हैं.