संपदा 2.0 में है परेशानी और 1.0 में आसानी

मामला पंजीयन विभाग का

इंदौर: मध्यप्रदेश में पंजीयन विभाग एक प्रयोग शाला बन गया है. स्थिति यह है कि ई – रजिस्ट्री पोर्टल अभी ठीक से काम करना शुरू ही किया था. अब सरकार में बैठे अधिकारी प्रैक्टिकल स्थिति को जाने बिना कुछ भी नया करने लग जाते है। अब ऐसा ही शिगूफा घर बैठे रजिस्ट्री का ले आए है, जिसका प्रैक्टिकल नॉलेज कई लोगों के साथ फ्रॉड केवी सकता है.
प्रदेश सरकार के आईजी पंजीयक पी सेल्वेंद्रम ने घर बैठे रजिस्ट्री करने का संपदा 2.0 प्रक्रिया शुरू करवा दी. ई – रजिस्ट्री का काम बड़ी मुश्किल से अधिकारियों और सर्विस प्रोवाइडर तालमेल से लाइन पर आया था. पहले ई – रजिस्ट्री करने में घंटो लग जाते थे. पोर्टल स्पीड नहीं होने से काम बंद हो जाता था, जनता घंटो पंजीयन कार्यालय में खड़ी रहती थी.

उक्त संपदा 1.0 की व्यवस्था और प्रक्रिया ठीक से काम कर रही थी कि उसको ब्रेक करके नया संपदा 2.0 लागू कर दिया. फिर से पंजीयन व्यवस्था अब अव्यवस्था और परेशानी कारण बन सकती है. खास बात यह है कि इसमें सर्विस प्रोवाइडर का काम खत्म कर दिया गया है. अब सीधे पंजीयन घर बैठकर अपने आधार से केवाईसी के द्वारा रजिस्ट्री करवा सकते है. अब यह निर्णय कई खामियों के साथ लागू हो गया है. अभी तक इंदौर में 10 दस्तावेज घर बैठे रजिस्टर्ड हो चुके है. इसमें 4 रजिस्ट्री, 1 वसीयत, 3 पावर ऑफ अटॉर्नी और 2 अन्य दस्तावेज का पंजीयन हुआ है. उक्त सभी दस्तावेज आधार कार्ड के जरिए पंजीयन हुआ है. इसमें आधार कार्ड में मौजूद ऊंगली के निशान से प्रमाणीकरण किया जा रहा है. गवाह का प्रमाणीकरण भी आधार कार्ड के आधार पर हो रहा है। खामी यह है कि इसमें राजस्व की गणना बिना मौका और भौतिक सत्यापन हो रही है , जो भविष्य में सबसे बड़ी परेशानी का कारण बनती दिखाई दे रही है.

एक्सपर्ट की राय

पंजीयन कार्यालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद द्विवेदी ने कहा कि पायलेट प्रोजेक्ट के तहत संपदा 2.0 कई विसंगतियों के साथ लागू किया है। उसके परिणाम सुखद नहीं आएं है. यही कारण है कि प्रदेश में गूगल सर्च के आधार संपत्ति का परीक्षण और गणना नहीं की जा सकती है. स्थल निरीक्षण और अन्य गोपनीय दस्तावेज का परीक्षण उप पंजीयक द्वारा पांच मिनट में संभव नहीं है. जब नगर निगम को इंदौर की संपत्तियों की जानकारी जुटाने में 8 महीने लगे थे , उसके बाद भी आज तक निगम तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हो सका है. संपदा वन में ही सर्वर डाउन, नेटवर्क प्राब्लम और जनरेटर की सुविधा ठीक नहीं हो पाई है। कंप्यूटर पर क्रेता विक्रेता दस्तावेज कैसे देख लेंगे? शासन ने बिना सोचे समझे संपदा 2.0 लागू कर दी है, जो अनुचित है.

यह है खामियां संपदा 2.0 में
– राजस्व की गणना कंप्यूटर पर नहीं देख सकते, राशि सही है या गलत
– जिओ टेंगिंग में सही लोकेशन ट्रेस नहीं होगी. गूगल मैप में कॉलोनी की लोकेशन मिल सकती है , लेकिन प्लॉट की लोकेशन नहीं.
– वसीयत वाले मामलों में गड़बड़ होने की पूरी संभावना है. किसी को भी गवाह बना कर संपत्ति विक्रय या नामांतरण की जाने की संभावना बढ़ गई है. इसमें पहले उप पंजीयक के सामने बयान और जांच होती थी.
– आधार को आधार बनाकर उसके अनुसार पंजीयन प्रमाण किया जाएगा , जो गलत भी हो सकता है.
– उप पंजीयक की गलती मानकर अधिकारी केडी खिलाफ कारवाई होगी , जो संपदा .2.0 सबसे गलत शर्त है। अधिकारी कम ही नहीं करेंगे , वो निलंबित होने को तैयार क्यों होंगे ?
– इसका सबसे बड़ा फायदा कॉलोनाइजर और भू माफियाओं के मिलेगा , खरीददार के सामने उसके गुर्गे हो रजिस्ट्री करवाते नजर आएंगे. अभी कॉलोनाइजर को आना पड़ता है. खरीददार को उसकी पहचान होती है.
– एक आधार से कई रजिस्ट्री का प्रावधान किया गया है, जिसमें धोखा होने की संभावना ज्यादा है. एक कॉलोनी में कई संचालक होते है.

संपदा 1.0 में अभी यह होता है

– सर्विस प्रोवाइडर दस्तावेज तैयार करता है और स्लॉट बुक कर संबंधित उप पंजीयक के सामने दोनों  पार्टियों खरीददार और बेचने वाले को प्रस्तुत करता है। गवाह और सबके बयान लिए जाते है। फिर ई जी रजिस्ट्री होती है।
– ई-रजिस्ट्री के पूर्व जगह का भौतिक सत्यापन होता है, अंगूठे निशान और हस्ताक्षर दोनो लिए जाते है। साक्ष्य सामने मौजूद होता है।
– राजस्व राशि के गणना और गाइड लाइन कंप्यूटर स्क्रीन पर देख कर के जाती है. कमी होने पर उसमें सुधार हो जाता है.
– सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सारे लिंक डैक्यूमेंट्स उप पंजीयक के सामने अपलोड किए जा सकते है अथवा कर सकते है । यह सुविधा संपदा 2.0 में  नहीं है और दिक्कत का कारण बन सकती है।

संपदा 2.0 में निम्न प्रकार के दस्तावेज का पंजीयन होगा

– घर बैठे पंजीयन की प्रक्रिया में 100 सौ रुपए के स्टाम्प पर अनुबंध और कब्जा वाले पर गाइड लाइन का 5 प्रतिशत
– अवार्ड दस्तावेज , 1.5 प्रतिशत की दर से पंजीयन शुल्क
– अतिरिक्त भार शुल्क में छूटने पर
– लीज या किरायनामा में 11 महीने से 500 सौ रुपए स्टांप और 10 साल तक की लीज घर बैठे आवेदन। 10 साल से ज्यादा समय होने पर पंजीयन कार्यालय में दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
– बंधक को छुड़ाने  या मोचन का आवेदन और पंजीयन
– संपत्ति का विभाजन
– पावर ऑफ अटॉर्नी

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