कुलाधिपति से 26 शोधार्थियों ने उपाधि और 32 उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले*
विद्यार्थियों ने पदक एवं 01 विद्यार्थी ने नानाजी मेडल प्राप्त किया
सतना :महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय का 12वां दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के राज्यपाल कुलाधिपति मंगू भाई पटेल ने कहा कि बड़ी नौकरी और बड़े पद पायें लेकिन ये याद रखें कि आपको इस मुकाम तक पहुॅंचाने वाले आपके माता-पिता, आपका समाज, आपका देश और आपके शिक्षक हैं अतः समृद्धि और सफलता के शिखर पर पहूॅंचकर इन्हें कभी नही भूलें। समृद्धि पुरूषार्थ से सभी को मिल सकती है पर मेरी इच्छा है कि आप समृद्धि के साथ उदारता को भी प्राप्त करें। विश्वविद्यालय के दीक्षांत प्रांगण में परम्परागत गरिमा, उल्लास और उत्साह के वातावरण में सम्पन्न हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भी उद्बोधन किया।
दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति श्री पटेल ने उपाधि धारकों से कहा कि हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है जिससे समाज या राष्ट्र का अहित हो। आपने जहां से शिक्षा प्राप्त की है वह नाना जी का विश्वविद्यालय है वे जहां भी हैं वहां से हमें देख रहें हैं, हमारे कामों से उन्हें शांति और संतोष की अनुभूति होनी चाहिए। जैसे चित्रकूट के कण-कण में नानाजी की उदारता और उनकी संकल्प शक्ति के दर्शन होते हैं वैसे ही आपके कार्यों से आपकी और आपके विश्वविद्यालय की कीर्ति दूर-दूर तक पहुॅचे। आज के समय में लक्ष्य से भटकाने वाले बहुत से आकर्षण समाज में हैं। इनसे बचकर अपना समय और शक्ति राष्ट्र और स्व कल्याण में लगायें। यही मेरी कामना है।
उपाधि और पदक के साथ नानाजी के आदर्शों को भी साथ ले जाएं- इंदर सिंह परमार उच्च शिक्षा मंत्री श्री परमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले दीक्षांत समारोह ऐसे हुआ करते थे जैसे अपने देश में न होकर विदेश में हो रहें हो। यह भारतीयता का स्वरूप सबको लुभाने वाला है। मै इस नवाचार के लिए विश्वविद्यालय को बधाई देता हॅू। भारतीयता और भारतीय मूल्य उच्च शिक्षा के मूल में रहें यही नानाजी का चिंतन था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हमें भारतीयता से अनुप्राणित शिक्षा व्यवस्था दी है। मुझे प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश ने इसे समग्रता से लागू करने में सफलता प्राप्त की है। जिसमें ग्रामोदय विश्वविद्यालय का भी महत्वपूर्ण स्थान है।
ग्राम दर्शन हमारे लिए प्रदर्शन नहीं आत्मदर्शन है- प्रो0 भरत मिश्रा
समारोह के आरम्भ में विश्वविद्याय के कुलगुरू प्रो0 भरत मिश्रा ने प्रगति प्रतिवेदन और स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। उन्होने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा, शोध, प्रसार और प्रशिक्षण के परम्परागत आयामों के साथ-साथ संसाधन सृजन का नया आयाम जुडा है।
प्रकाशनों की पंचवटी
दीक्षांत समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय के मुख पत्र ग्रामोदय संदेश की प्रतियों का वितरण किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय की हाल की गतिविधियों को सुरूचिपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ0 रमेश चन्द्र त्रिपाठी, डॉ0 जय शंकर मिश्र, डॉ0 उमाशंकर मिश्रा, डॉ0 राकेश श्रीवास्तत, डॉ0 उमेश शुक्ला और डॉ0 अभय कुमार वर्मा की पुस्तकों का विमोचन भी सम्पन्न हुआ।
दीक्षांत शोभा यात्रा ने मन मोहा
दीक्षांत परम्परा के अनुसार शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। शोभा यात्रा का नेतृत्व मंच पर जाते समय कुलसचिव नीरजा नामदेव ने किया। साथ में प्रबन्ध मण्डल और विद्यापरिषद के समस्यगणों के साथ संकाय अधिष्ठाता भी सहभागी रहे। भारतीय परम्परागत वेशभूषा में सजे अतिथियों से शोभायात्रा की रौनक देखते ही बनती थी। रंगीन केसरिया साफा, कुर्ता पायजामा में जैसे भारतीय संस्कृति जीवंत हो उठी।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के शाश्वत प्रेरणा स्रोत राष्ट्रपति महात्मा गांधी और ग्रामोदय विश्वविद्यालय के परिकल्पक, संस्थापक, प्रथम कुलाधिपति भारतरत्न श्री नानाजी देशमुख की प्रतिमाओं पर माल्यापर्ण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल, कमिश्नर रीवा बीएस जामोद, आईजी महेंद्र सिंह शिकरवार, कलेक्टर अनुराग वर्मा, पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।