कलेक्टर कार्यालय पर आवेदन जमा करने महिलाओं की भारी भीड़
अधिकारियों ने कहा अभी तीसरा चरण नहीं हुआ शुरू
उज्जैन: दीपावली का त्योहार सर पर है ऐसे में महंगाई की मार झेल रही लाड़ली बहनाओं ने एक नायाब तरीका खोज निकाला है अभी लाड़ली बहना का तीसरा चरण प्रारंभ नहीं हुआ है, बावजूद इसके सरकार से 1250 रुपए खाते में मिलने की आस ऐसी लाड़ली बहनाओं को जागी हैं जिनका नाम अब तक सूची में नहीं आया है.बुधवार को कलेक्टर कार्यालय पर महिलाओं की भारी भीड़ पहुंच गई , और आवेदन जमा किए जा रहे हैं. नवभारत ने इस संबंध में जब महिलाओं से चर्चा की और फार्म के संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा की फोटोकॉपी की दुकान से फॉर्म लाकर भरे जा रहे हैं आधार कार्ड लगाया जा रहा है और लाडली बहना योजना में आवेदन कर रहे हैं.
पोर्टल अभी बन्द, आवेदन आना शुरू
नवभारत ने इस संबंध में जब पड़ताल की तो कलेक्टर कार्यालय के अधिकारियों से लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला संयोजक एस आर सिद्दीकी ने बताया कि महिलाओं को समझा समझा कर परेशान हो गए हैं कोई समझने को तैयार नहीं है. योजना जब प्रारंभ होती है तो वह ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से पूरी प्रक्रिया की जाती है और आईडी पासवर्ड होते हैं, पोर्टल के माध्यम से ही लाडली बहना योजना के फॉर्म सरकार तक पहुंचाते हैं, उसके आईडी पासवर्ड भी हमारे पास नहीं है ना ही अभी पोर्टल चालू हुआ है.
मजबूरी में दे रहे हैं रिसिप्ट
कलेक्टर कार्यालय में फॉर्म जमा करने वाले अधिकारियों ने कहा कि हमारी मजबूरी है कि कोई भी आवेदन लेकर आता है तो हमें आवेदन लेकर रिसिप्ट देना पड़ती है. जबकि अभी लाड़ली बहना योजना का तीसरा चरण प्रारंभ नहीं हुआ है, नगरी निकायों के हाथ में यह सारी प्रक्रिया है, महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से दो-दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है.
फोटो कॉपी वाला बेच रहा फॉर्म…!!
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला संयोजक एस आर सिद्दीकी ने बताया कि फोटोकॉपी की दुकान से आवेदन फार्म महिलाएं खरीद कर ला रही है, फोटोकॉपी वाले की तो दुकान चल रही है और हमारी समस्या बढ़ गई है. हम भी इन आए हुए आवेदनों का पुट्टल बनाकर ऑफिस में रखे जा रहे हैं. हम महिलाओं को समझा रहे हैं कि कृपया अभी तीसरे चरण की योजना प्रारंभ नहीं हुई है और लाड़ली बहन योजना के फॉर्म भरकर न दें बावजूद कोई समझने को तैयार नहीं है.
गाड़ियां भरकर आ रही महिलाएं
पहले यह अफवाह गांव में उड़ी और वहां पर ग्रामीण जनप्रतिनिधियों ने उन्हें कह दिया कि योजना शहर में चालू है, तो गांव से लेकर शहर तक की महिलाएं अब यहां प्रशासनिक भवन पर आने लगी है. यहां तक कि ट्रैक्टर भर-भर का महिलाएं आ रही है, किराए की गाड़ियां लेकर आ रही है. जबकि अधिकृत तौर पर लाडली बहन का तीसरा चरण अभी बंद है, मगर बहनो को आखिर कौन समझाएं कि क्या माजरा है.
हमको तो चाहिए 1250
नव भारत ने इस संबंध में जब लाड़ली बहनाओं से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि पहले भी हमें कई बार टरका दिया और कभी केवाईसी की बात को लेकर तो कभी दूसरे बहाने बनाकर हमारे फार्म जमा नहीं कराए गए, अब हम फार्म जमा करने आए हैं क्योंकि सारी महिलाएं फॉर्म जमा कर चुकी है, हमें अड़ोसी- पड़ोसी से पता चला है की लाडली बहना योजना शुरू हो गई है. हमको भी 1250 रुपए चाहिए.